Book Title: Balbodh Pathmala 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 16
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ तीसरा श्रावक के अष्ट मूलगुण प्रबोध – क्यों भाई! इस शीशी में क्या है ? सुबोध – शहद । प्रबोध – क्यों ? सुबोध – वैद्यजी ने दवाई दी थी और कहा था कि शहद या चीनी ( शक्कर) की चासनी में खाना। अतः बाजार से शहद लाया हूँ। प्रबोध - तो क्या तुम शहद खाते हो ? मालूम नहीं ? यह तो महान् अपवित्र पदार्थ हैं। मधु-मक्खियों का मल है और बहुत से त्रस-जीवों के घात से उत्पन्न होता है। इसे कदापि नहीं खाना चाहिये। सुबोध – भाई, हम तो साधारण श्रावक हैं, कोई व्रती थोड़े ही हैं । प्रबोध - साधारण श्रावक भी अष्ट मूलगुण का धारी और सप्त व्यसन का त्यागी होता है। मधु ( शहद) का त्याग अष्ट मूलगुणों में आता है। १३ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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