Book Title: Bahotteriona Padono Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

Previous | Next

Page 5
________________ (५) सुधारीने मोटा अक्षरमा पोकेट सापकमां उपावेल , तेथी तेनी अंदर घणोज वधारो श्रयेल . वसी आ ग्रंथनी अंदर चोवीश जिनेश्वरोना बंद नाखवामां आ. वेल . आ बारीक समयमा कागलनानाव घणाज वधी जवा उतां जैनबंधुउने वाचवा जणवा घणीज सवल पमे ते सारु प्रथमनीज किमत राखवामां आवेल , तेथी दरेक जैनबंधु श्रावा अमूल्य ग्रंथनो लाज खेवा चूकशे नहि. क्षमापना. आं ग्रथनी अंदर मतिदोषथी के दृष्टिदोषश्री जे कांश भूलचूक रही गइ Jain Educationa Interati@ersonal and Private Usev@mw.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 384