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( २३३ )
काचशकल दे चिंतामणि ले, कुमता कुटिल कूं सहज ग्गी ॥ ॥ सोदं० ॥ २ ॥
व्यापक सकल स्वरूपलख्योइम, जिमनन में मग लढत खगी ॥॥
चिदानंद आनंद मूरति, निरख प्रेम जर बुद्धि यगीरी ॥ सोदं० ॥ ३ ॥
॥ पद चोवीशमं ॥ राग टोडी ॥ || अब लागी अब लागी,
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