Book Title: Bahotteriona Padono Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(३५५) नमे नय पाय महाव्रतधारी ॥ २२॥ पार्श्वनाथ अनाथको नाथ सनाथ यो प्रनु देखतथे । सवि रोग विजोग कुजोग महा मुःख दूर गए प्रनु धावतथे । अश्वसेन नरेस सपुत विराजित घनाघनवान समान तनु। नय सेवक वंछित पूरण साहिब अनिनव काम करी रमनु॥ १३ ॥ कुकमठ कुलं उलंठ हठी हठ नंजन जास प्रताप विराजे । चंदन वाणीसू वामानंदन पुरुसादाणी बिरुद जस गजे । जस नामके ध्यान थको सवि दोहग दारिज दुःख महा सविनांजे।नय सेवकवंगित पूरण साहिब अष्ट महा सिधि नित्य नीवाजे ॥२॥ सिझारथ नूप तणा प्रतिरूप नमे नर नूप आनंद धरी। अचिंत्य सरूप अनोपम रूप
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