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(२७) श्याम सुंदर वर मेरा अनु०॥
.ए आंकणी॥ शीयल फाग पिया संग रमूंगी, गुण मानुंगी में तेरा रे॥ झान गुलाल प्रेम पीचकारी, शुचि श्रधा रंग नेरा रे॥
अनु० ॥१॥ पंच मिथ्यात निवार धरंगी में, संवर वेशनलेरा रे ॥ चिदानंद ऐसी होरी खेलत,
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