Book Title: Avashyakaniryuktidipika Part_2
Author(s): Manekyashekharsuri
Publisher: Vijaydansuri Jain Granthmala Surat

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ पृष्ठः पुंठी पंक्तिः अशुद्धः पृष्ठः पुंठी पंक्तिः अशुद्धः शुद्धः ८७ २ ७ स्त्रिपृष्टिः स्त्रिपृष्ठिः ९९ २ ८ मुर्ति मुक्ति ९० २ ५ दासीदाम दासीदास १०० १ १ स्थितः स्थिताः ९२ २ ११ सीह सीहा १०१ , प्रगल्भभ्यां प्रगल्भाभ्यां ९३ १ ६ स्वछच्न्द० स्वच्छन्द " , १२ षष्टवर्षासु षष्ठवर्षासु , १२ साण सण कुण्डक कुण्डाक ९५ २ ४ जनवलभो जनवल्लभो ___" , १० रुन्नके रुन्नाके आयातौ आयातो १०२ , ११ षष्टै षष्ठै तत्रैकरात्रि तत्रैकरात्रि १०३ , ३ उवस्सग्गं उवसम्गं 'अचियत्तुम्गहु'त्ति 'अचियत्तुग्गही'ति अनुबुद्धं अनुबद्ध 'वासहिअगामि'त्ति 'वासट्ठिअग्गामि'त्ति , २ ४ दतहम् दत्तम् , , ३ प्रीष्मे | १११ १ ८ गाथानुलोभ्या गाथानुलोम्या , , ११ सप्तमा सप्तमी एके ९८७ भब्भतरं मन्भन्तरं । ११५ २ ११ जिक्खमणं निक्खमणं ग्रीष्मे Jain Education in For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 410