Book Title: Avashyakaniryuktidipika Part_2
Author(s): Manekyashekharsuri
Publisher: Vijaydansuri Jain Granthmala Surat

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Page 13
________________ पृष्टः पुंठी पंक्तिः अशुद्धः शुद्धः १४८ १ १० उसि उस्सि १४९ , ४ धनं धनं , ५ ठाभि ठामि १५८ , ७ वृत्तिश्चूादि वृत्तिश्चादि , १० मोक्षस्तप्रत्ययं मोक्षस्तत्प्रत्यय , , , श्रध्ध्या श्रद्धया १ ६ पन्नरसहं पन्नरसण्हं १६६ १ १३ द्वाविंशति द्वाविंशति १६८ २ ९ स्वः १६८ २ १० असत्थापनं ।। असस्थापन १७० १ ५ असोयणया असोयणयाए २ ४ अनुज्ञाप्य अननुज्ञाप्य १७४ २ ३ संजयविर- संजयविरय पृष्ठः पुंठी पंक्तिः अशुद्धः शुद्धः १७५ १ ५ रक्ताद्विष्ट अरक्ताद्विष्ट " , ८ भविष्यकाल भविष्यत्काल , १० षष्टं षष्ठं , प्रज्ञानुदिश्यो प्रज्ञानुद्दिश्यो ११ षष्टं १७८ , ४ महाव्रतापकारकांश्च महाव्रतोपकारकांश्च १७९ २ ३ एकसमाचारिका एकसामाचारिका अस्तिकता आस्तिकता १८१ १ ६ तुराहाणां तुराहाराणां , २ ९ कटादिसंस्तार कटादिसंस्तारक १८६ १ १३ सर्वाहारानेन सर्वाहारहानेन १९४ २ १ नइसंतारणे नइसंतारे १९८ १ ८ दृष्ट्वा यातः दृष्ट्वाऽऽयातः स्वं Jain Education in al For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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