Book Title: Avashyak Sutram Part 03
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 13
________________ | सम्पादकीयम् | तृतीयो विभाग: श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-३ // 11 // "बतीसाए जोगसंगहेहिं" सूत्रेण सदृष्टान्ता योगसंग्रहा उपदर्शितास्तद्यथा - योगसंग्रहाः दृष्टान्तः योगसंग्रहाः दृष्टान्तः 1. आलोचना अट्टनः 11. शौचः यज्ञयशः पुत्रयज्ञदत्तपुत्रनारदः 2. निरपलापः दृढ़मित्रः 12. सम्यक्त्वं विमलप्रभाकरी 3. आपत्सु दृढ़मित्रता द्रव्य- धर्मघोषः 13. समाधिः सुव्रतर्षिः भाव- दण्ड 14. आचारः ज्वलनदहनौ 4. अनिश्रित उपधानं महागिरिः 15. विनयः निम्बकः 5. शिक्षा स्थूलभद्रः | 16. घृतिमतिः मतिसुमत्यौ 6. निष्प्रतिकर्म नागदत्तः 17. संवेगः वारत्रकर्षिः 7. अज्ञातत्व धर्मवसुशिष्यौ 18. प्रणिधिः द्रव्य-गुग्गुलः 8. अलोभे क्षुल्लकः पालकसुतराष्ट्रवर्धनसुतौ भाव- भदन्तमित्रकुणाली अन्तिसेनमणिप्रभौ 19. सुविधिः वैतरणिः 9. तितिक्षा सुरेन्द्रदत्तः 20. संवरः नन्दश्री १०.आर्जव: अङ्गर्षिः 21. आत्मदोषोपसंहारः जिनदेवः योगसंग्रहाः दृष्टान्तः 22. विरक्तत्वं देवलासुतः 23. प्रत्याख्यानं- मूलगुणे शत्रुञ्जयः 24. प्रत्याख्यान- उत्तरगुणे धर्मघोषधर्मयशी 25. व्युत्सर्गः प्रत्येकबुद्धाः 26. अप्रमादः मगधसुन्दरी 27. लवालवः विजयः 28. ध्यान पुष्यभूतिः 29. मारणान्तिकः धर्मरुचिः 30. स्नेहत्यागः जिनदेवः 31. प्रायच्छितं धनगुप्तः 32. आराधना मरुदेवी // 11 //

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