Book Title: Avashyak Sutram Part 03
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
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________________ सम्पादकीयम् तृतीयो विभागः श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-३ // 13 // श्रीआवश्यकसूत्रे प्रतिक्रमणसमये सूत्रोच्चारसमये श्रीग्रन्थकारस्य कीदृशोभावोऽपेक्षितोऽस्ति तदस्मिन्नध्ययने प्ररूपितः / उपयोगाभावे अणुवओगोदव्वं इति वचनात् आवश्यकं द्रव्यक्रियात्वेन निःसारंपरिणमति / श्रीआवश्यकसूत्रस्य तात्त्विकाभ्यासेन प्रादुर्भवन्ती परिणतिः आवश्यकक्रियां भावक्रियात्वेन सफलीकरोति / आवश्यकक्रियायां कस्मिन् भावे प्रवर्तितव्यं तन्मार्ग प्रदर्शितम् ।सर्वेभव्यजीवाः एतदध्ययनेनाध्यापनेन च आवश्यकक्रियां भावप्रधानां कुर्वन्तु ममापि च क्रिया सफला भवतु / मुनिपुण्यकीर्तिविजयो गणिः / श्री श्रीपालनगर जैन श्वे० मूर्तिपूजक देरासर ट्रस्ट श्रीपालनगर, 12 जमनादास मेहता मार्ग, वालकेश्वर, मुंबई -400006. विक्रम सं० 2063 वीर सं० 2533 // 13

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