Book Title: Avashyak Sutram Part 03
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 17
________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-३ आवश्यकनिर्युक्तेर्विषयानुक्रमः // 2 // क्रमः विषय: सूत्रम् भाष्य: नियुक्तिः पृष्ठः / | क्रमः विषयः सूत्रम् भाष्य: नियुक्तिः पृष्ठः समाधिप्रार्थनाच।२-४(३-५)- 1080-91 885-894 ज्ञानादितीर्थावधिकारसूचा 2.11 नतिकी]कार्थिकानि पार्श्वस्थादिभेदाः। - - 1105-07 911-912 (4-4) / 5-6(6-7) - 1092 894-896 3.4 पार्श्वस्थादेवन्दने दोषाः, 2.12 मिथ्यात्वाज्ञानाव्रततमोभ्यो तस्य च दुर्लभा बोधि:चारित्रनाशः मुक्ता उत्तमाः। - - 1093 896 चम्पकमाला-शकुनी पारग-वैडूर्यदृष्टान्ताः प्रार्थनाया अनिदानता, भक्त्या (असत्सङ्गदोषा:)। - - 1108-21 915-922 व्यवहारभाषा, उपदेशदास्ते, भक्त्या 3.5 लिङ्गाप्रामाण्यचर्चा, अपूर्वदृष्टेलिङ्गावशेषे कर्मक्षयः, तत आरोग्यादिलाभ: च पर्यायादिमति विधिः, प्रतिमामिषंनिर्भक्तिकोऽनायतिः, चैत्यादेः संयमः श्रेय: रूप्यटङ्कचतुर्भङ्गी। - 204 1122-39 922-930 सिद्धिप्रार्थना। 78) - 1094-1101896-900 3.6 ज्ञानतीर्थवादः, आलयादिना केवलेन लोकालोक सुविहितज्ञानं-प्रत्येकबुद्धा लम्बनानां प्रकाशः। - - 1102 901 चारित्रनाशः, उन्मार्गदेशका // तृतीयं वन्दना अद्रष्टव्याः / - - 1140-52 931-935 ध्ययनम्॥ 8(9) - 1103-1230902-972 3.7 दर्शनतीर्थवादः चारित्राच्छ्योदर्शनवन्दनैकार्थिकानि (४)कस्येत्यादीनि (9) अविरतश्रेणिकादयो नरकगतिकाः, चारित्रपुष्टिः, द्वाराणि च। - - 1103 902-903 उधमे गुणाः। - - 1153-70 936-143 वन्दनचित्यादिषु शीतलक्षुल्लकादि सालम्बनसेवा, भग्नानां दृष्टान्ताः / - 1104 904 तदेवाप्रधानम्। - - 1171-74 943-944 वन्दनीयावन्दनीये मालादृष्टान्तः, 3.9 नित्यवासेचैत्यभक्तावालाभे 2.14 // 2 //

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