Book Title: Atmanand Prakash Pustak 017 Ank 04
Author(s): Jain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 8000000000000000000000000063 . श्रीमजियानन्दसूरि सद्गुरुज्यो नमः श्री है आत्मानन्दप्रकाश ng ०००० | स्त्रग्धरावृत्तम् ॥ 2000000000000000000000000000000000000000000000000 आत्मानन्दं प्रयाति स्मरणकरणतः श्रीप्रभार्यत्यकाशात् पुण्यं ज्ञानं ददाति प्रतिदिनमथ यद्वाचनं सज्जनेभ्यः । यस्य स्तुत्यप्रयत्नः समुदयकरणे सत्यधर्म रतानां 'आत्मानन्द प्रकाश' वहतु हृदि मुदं मासिकं तदुधानाम् ॥२॥ arestindiadresasannardostisaarden पु. १७. | वीर सं. २४४ कार्तिक. आत्म सं. २४ । 'अंक ४ थो. e-lewresentensessmessy प्रकाशक- जैन पासानन्द सभा-भावनगर P-33333333333333333393 9 79397909aasi a FER विषयमा . 1914२ २तुति. (२२. विक्षस भू मी . .) २ भान भरने उपदेश. (4040तसाग२०० म.) ... 3zeers प्रास्तावित सोही (२१. युअरसाद म.त्रिवही )... ४ आनी प्यास. (विस ) ... ५ तशाननी सरस भाग. (मुनि श्री रविश५७). ... ६ उन्नति भाटे २ लावनानी ४३२. (,) . ... ७ नष्टय मनोविज्ञान. (२१. मध्यायी) ... ... ८ वनायोत जे छ-५५. (२१. तर भा४)... टन समारली आधुनि स्थिति. ( मा० म.) १० समान वन- अध:पतन. (२२. इयं वरमा) ... 01 में मुदासी. ( समा) ... ... ... ... ...1१3 2 १२ पतभान समाचार ( पहाशरण महोत्स) भने थावसान..... વાર્ષિક મૂલ્ય રૂ. ૧) ટપાલ ખર્ચ આના ૪. Beee मान श्री- प्रेसमा ७ सुखमय मे छाप्यु-भावना२.0008 500000000000000000000000000000000008 00000000000000000000000000000000000000008 ...१.७ ...१०८ ...११० ...११४ For Private And Personal Use Only

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