Book Title: Atmanand Prakash Pustak 013 Ank 06
Author(s): Jain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताम्बूल रंजन। यह पवित्र वस्तुओं के योगसे सुगंधित और गुणकारी बनाया है। पान के साथ खानेमें लज्जत आती है । और मुंहको दुर्गन्ध दांतों की कमजोरी दिल दिमाग की कमजोरी को दूर कर चित्त प्रसन्न करता है । कीमत फी शीशो 1) तीन शीशी ॥८) चन्द्रकला । ( गौरे और खूबसूरत होनेकी दवा) इस के लगाने से चेहरे को खूबसूरती बढ़ती है और गुलाबी छटा दमकने लगती है ! खूशबू निकलने लगता है और चेहरे को स्याही, मुहांसे, छोप, झुर्रियां, फोडा फुसी, खुजली, मुंह का फटना दूर हो जाता है ! की० फी सीसी ॥) तीन सी०१।) चन्द्रामृत । ( अनेक रोगोंकी एक दवा ) यह बादो, बदहजमो, दस्त, के, खांसी, दमा, सिरदर्द, जुखाम, आंखका दर्द, दांत वा डाढका दर्द, कर्गरोग, दाइ, खुजलो, खाज, हैजा, सूजन, गठियावात, लकवा, कमजोरी, अशक्ति, नामदर्दी, जहरी डंक, प्लोहा, अण्डवृद्धि, प्रदररोग, सर्दी, ववासोर, मुंहके छाले, प्रमेह रक्त शुद्ध जलना ताप (बुखार ) नहरुआ, हिचकी, दुर्गन्धि, खटमल आदि प्रायः सब रोगों का पूरा २ इलाज है। गृहस्थों को एक शीशी अवश्य पास रखनी चाहिये । कीमत अमोर गरीब सबके लिये कम रक्खी है । खाने लगाने की तीव दवा के साथ मोलती है की फी शीशी ॥ ) तीन सीसी २) दवा सुजाक की। इस से सब तरह का नया या पुराना सुजाक बहुत जल्द आराम हो जाता है । को०१) दवा आतश की। इससे कठीनसे कठीन आतस ( गर्मी ) आराम हो जाती है, कोइ हानि नहीं होती । की०१) दवा ववासीर की। इससे खूनी और बादी दोनों तरह की ववासीर अच्छी हो जाती है। की०१) For Private And Personal Use Only

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