Book Title: Atmanand Prakash Pustak 006 Ank 09
Author(s): Motichand Oghavji Shah
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Sala : लाने ॥२ २०७ और आगरेमें पल्लीवाल जैन श्वेताम्बर होगये और ढूंढक तो बहुतसे नगरोंमें दिर्खाइ पडते हैं तो कहीये. इनका सुधारा कैसे हो मुनासिव है और अग्रेसरोंसे दरखुवास्त है कि एक कौनफिरन्स फंडमें या उपदेशक फंड कोइसाभी हो कार्य द्रढ करके उसकेद्वारा उपदेशक देखकर ग्रामोग्राममें नाज नः कराया जायगा तबतक उन्नति नहीं होगी. क्योंकि विना उपदेशकोंके किसीभी धर्मने तरकी हासिल नहीं की बल्कः तनज्जुल डुवा है तबाराखें ( इतिहास ) पढो और पते लगावो कि महात्मा बौद्ध के जमानेमें जिस समय उपदेशक विशेष थे और विद्वान उद्यमी रहै तमाम प्रथवीमें बौद्ध नजर आने लगा यहां तक उपदेशकोंने धर्मको फैला दिया कि एक हिस्सेमें समस्त मत और तीन हिस्सोंमें बौद्ध महाराजका झंडा लहकने लगा था पर इसी धर्म जव विद्वान उपदेशकोंकी न्यूनता आई तो इधरके देशोंसे नाम निशान तक उठ गया और दुनयाके सिर्फ ? कोने चीनादि देशोंमें जा आवाद हुवा हालांकि यहांसे वो लोग ब्राह्मणोंके जुल्मसे चले गये परन्तु विद्वान उपदेशक उद्यमी नः होनेकाभी एक कारण था इसी प्रकार सांख्य वैदिक-नैयाथिक वैशेषिक-जैमिनीय-शंकरस्वामी-रामानुज-वल्लभकुली-कबीरपंथी--रामस्नेही-शली--मर्योपालक-ब्रह्मसमाज-आर्यसमाज-तुकारामी ईसाई-मुसलमान-पारसी-राधास्वामी-आदिक मतानुयाईयोंने जब २ स्वधर्मकी बढवारी की तो इन्हीं पांच कारणों में से किसीका सहारा लेकरही की (१) उपदेशक (२) परिश्रम (३) विद्या (४) द्रव्य (५) ताकत-खूब गौर कर लीजये कि यही बातें सबको उन्नतिमें सहायभूत हुई और होवेंगी जिस मतमें ये पाचों वातें नष्ट होगया इन पांचोंमें कसरत रायके नियमानुसार ३ बातें भी जिधर पूरी For Private And Personal Use Only

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