Book Title: Atmanand Prakash Pustak 006 Ank 09
Author(s): Motichand Oghavji Shah
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir આત્માનદ પ્રકાશ उनको मदद पहुंचती है या नहीं या जिस समय उन गरीब भा. इयोंको वेतन जारी हुवाथा अभी वोही स्थती है या कुच्छ फैरफार हुवा है-(भला इन बातोंकी तहकीकात करै कौन) कौन 'घरसे गली बैठा है जो भ्रमण करे और गांठ का खर्च करके खोजा लपाये धनाढ्य तो हुई के मिदे तकये छोडना नही चाहते गरीबोंपर इतना रुपया नही जो खर्च करें तब कहीये देशमें जातिकी जांच कौन करे कि कहीं २ पर कैसी २ स्थिती है यदि उपदेशक हों तो सभी काम को अंजाम दे सक्ते हैं कौनफिरन्सने की आदमी सालाना एकठा फरनेका रिवाज निकालाथा पर वो चला नहीचले कहाँसे नामामुग्राम वसूल करने कौन जावे और इतने भले मानस देनेवाले नही जे विना मांगे मनयाडरद्वारा या अन्य प्रकार भेज देखें क्योंकि जाहिल पारटी विशेष म्हरी यदि उपदेशक पारटी होती तो बो दमादम सारा काम करती चली जाती जहां पहंचती अग्रेसको रिपोट भी भेजती और नियमोंका भी पालन कराती अब तुम अग्रेसर लोक एक जगह एकत्र होकर हजार रूल पास कशे पर जब जाहिल पारटी उसपर चलतीही नही तो बतायो विना उपदेशक पारटी कसे उनके दिल में तुम प्रेरणा करवा दोगे-जीर्ण उद्धारादि फंडमें हजारोका खर्च होता है शास्त्रउ द्वार खर्च होता है बिना जांच के क्या मालूम कितना खर्चका काम था और कितना उठ गया यदि उपदेशक हो। तो सभी भेद खुलें और भली बुरी खबर मालुम होती रहें वरना जैसलमेर में हीरालाल ईसराजने रूपये में गडबडकी वैसी हुवा करेगी और पता भी नः लगेगा कि कितना फजूल रूपया वरवाद हुवा क्यों कि इंतिजाम अग्रेसर लोग कहातक करेंगे ये तो टंटा जभी मिटेगा जब उपदेशक मंडलीकी तफसे ग्रामानुग्राम जैसे इसाई और आर्य समाजके उपदेशक भ्रमण करतेहैं उसी तरह जैन विद्वान वान करेंगे और धम कार्याका हाथमे लेंगे. For Private And Personal Use Only

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