Book Title: Atmakatha Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji Publisher: Sasta Sahitya Mandal Delhi View full book textPage 3
________________ सातवें संस्करण के बारे में आजसे कोई अठारह साल पहले मैंने 'ग्रात्मकथा' का हिन्दी अनुवाद किया था । उसके बाद यह पहला मौका है जब कि मैं उसे दुहरानेका समय निकाल पाया हूं | हिंदी में अबतक इसके छ: संस्करण निकल चुके हैं । कुछ मित्रोंने इस बातकी ओर ध्यान भी दिलाया कि मैं एक बार फिर मूल गुजराती से मिलाकर अनुवादको देख जाऊं तो अच्छा रहे । मेरे पास इस समय गुजराती 'आत्मकथा' की छठी प्रावृत्ति है, जो १९४० में प्रकाशित हुई थी। उससे मिलाकर, इसमें जहां कहीं कसर या त्रुटि मालूम हुई है मैंने उसे ठीक करनेका प्रयास किया है । अपना ही लिखा हम जब-जब देखते हैं तब-तब कुछ-न-कुछ सुधार करनेकी इच्छा हो जाती है, तो फिर १८ साल पहलेका अनुवाद देखने से मुझे यों भी शब्दों भाषा संबंधी कई सुधार सूझना स्वाभाविक था । मैंने इसमें कंजूसी से काम नहीं लिया है । पूज्य बापूकी इस पवित्र कथा और अनमोल प्रयोगोंको फिरसे एक वार अच्छी तरह पढ़ने का जो सुअवसर मिला उससे मेरी श्रात्माको भी अच्छी खुराक मिली; कई पुरानी भावनाएं नये सिरेसे जाग उठीं, उनके प्रकाशमें अपनी कमियों व कमजोरियोंको भी देखने व परखनेका मौका मिला ; यह अमिट छाप फिरसे हृदय पर पड़ी कि बापूकी यह 'आत्मकथा' उसके प्रतिक्षण विकासशील दिव्य जीवनकी तरह, पाठकोंको वास्तवमें नित नई सत्यकी प्रेरणा व प्रकाश देने वाली है और सत्यकी शोधके इतिहास में इसका अमर स्थान है । क्या अच्छा हो कि बापू अपने अब तकके सत्यके और भी महान् प्रयोग व अनुभवोंकी कथा और लिख डालें। मुझे विश्वास है कि सत्यके इस निडर उपासकके अगले अनुभव अधिक दिव्य व श्रद्भुत होंगे और उनसे संसारको एक नई रोशनी मिलेगी । गांधी आश्रम, हटूंडी ( अजमेर) शीतला सप्तमी, २००२ वि० } --हरिभाऊ उपाध्यायPage Navigation
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