Book Title: Ashtpahud Gatha
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur
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सवसासत्तं तित्थं वचचइदालत्तयं च वुत्तेहिं । जिणभवणं अह बेझं जिणमग्गे जिणवरा विंति ॥४३।। पंचमहव्वयजुत्ता पंचिंदियसंजया णिरावेक्खा। सज्झायझाणजुत्ता मुणिवरवसहा णिइच्छन्ति ।।४४।। गिहगंथमोहमुक्का बावीसपरीसहा जियकषाया। पावारंभविमुक्का पव्वजा एरिसा भणिया ।।४५।। धणधण्णवत्थदाणं हिरण्णसयणासणाइ छत्ताई। कुद्दाणविरहरहिया पव्वज्जा एरिसा भणिया ।।४६।। सत्तूमित्ते य समा पसंसणिंदा अलद्धिलद्धिसमा। तणकणए समभावा पव्वज्जा एरिसा भणिया ॥४७।। उत्तममज्झिमगेहे दारिद्दे ईसरे णिरावेक्खा। सव्वत्थ गिहिदपिंडा पव्वजा एरिसा भणिया।।४८।। णिग्गंथा णिस्संगा णिम्माणासा अराय णिद्दोसा। णिम्मम णिरहंकारा पव्वजा एरिसा भणिया ।।४९।। णिण्णेहा णिल्लोहा णिम्मोहा णिव्वियार णिक्कलुसा। णिब्भय णिरासभावा पव्वजा एरिसा भणिया ।।५०।। जहजायरूवसरिसा अवलंबियभुय णिराउहा संता। परकियणिलयणिवासा पव्वजा एरिसा भणिया ।।५१।। उवसमखमदमजुत्ता सरीरसंकारवज्जिया रुक्खा। मयरायदोसरहिया पव्वजा एरिसा भणिया ।।५२।। विवरीयमूढभावा पणट्ठकम्मट्ठ णट्ठमिच्छत्ता। सम्मत्तगुणविसुद्धा पव्वज्जा एरिसा भणिया ।।५३।। जिणमग्गे पव्वजा छहसंहणणेसु भणिय णिग्गंथा। भावंति भव्वपुरिसा कम्मक्खयकारणे भणिया ।।५४।। तिलतुसमत्तणिमित्तसम बाहिरग्गंधसंगहो णत्थि । पव्वज हवइ एसा जह भणिया सव्वदरसीहिं ।।५५।। उवसग्गपरिसहसहा णिज्जणदेसे हि णिच्च अत्थइ। सिल कटे भूमितले सव्वे आरुहइ सव्वत्थ ।।५६।।
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