Book Title: Ashtpahud Gatha
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur
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________________ एवं बहुप्पयारं जिणेहि पच्चक्खणाणदरसीहिं। सीलेण य मोक्खपयं अक्खातीदं य लोयणाणेहिं / / 33 / / सम्मत्तणाणदंसणतववीरियपंचयारमप्पाणं / जलणो वि पवणसहिदो डहंति पोरायणं कम्मं / / 34 / / णिद्दड्ढअट्ठकम्मा विसयविरत्ता जिदिदिया धीरा / तवविणयसीलसहिदा सिद्धा सिद्धिं गदिं पत्ता / / 35 / / लावण्यसीलकुसलो जम्ममहीरुहो जस्स सवणस्स। सो सीलो स महप्पा भमिज गुणवित्थरं भविए / / 36 / / णाणं झाणं जोगो दंसणसुद्धीय वीरियायत्तं / सम्मत्तदंसणेण य लहंति जिणसासणे बोहिं / / 37 / / जिणवयणगहिदसारा विसयविरत्ता तवोधणा धीरा।। सीलसलिलेण ण्हादा ते सिद्धालयसुहं जंति / / 38 / / सव्वगुणखीणकम्मा सुहदुक्खविवजिदा मणविसुद्धा। पप्फोडियकम्मरया हवंति आराहणापयडा / / 39 / / अरहंते सुहभत्ती सम्मत्तं दंसणेण सुविसुद्धं / सीलं विसयविरागो णाणं पुण केरिसं भणियं / / 40 / / (37)

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