Book Title: Arddhamagadhi Bhasha ka Udbhav evam Vikas Author(s): Sagarmal Jain Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ मार्च २०१० भाषाओं के कालक्रम की दृष्टि से विचार करें तो मागधी में आसपास की क्षेत्रीय बोलियों के प्रभाव से साहित्यिक प्राकृत के रूप में अर्धमागधी का उद्भव एवं विकास हुआ । इसके पश्चात् शौरसेनी और महाराष्ट्री प्राकृतें भी साहित्यिक भाषा के रूप में विकसित हुई। जहां तक मागधी या प्रारम्भिक अर्धमागधी का प्रश्न है, उसके साहित्यिक एवं पुरातात्त्विक (अभिलेखीय) दोनों प्रमाण उपलब्ध है, जो ई.पू. तीसरी-चौथी शताब्दी तक जाते हैं, किन्तु जहाँ शौरसेनी और महाराष्ट्री प्राकृत का प्रश्न है, उसके मात्र साहित्यिक प्रमाण उपलब्ध हैं, जो अधिकतम ईसा की द्वितीय शती से पांचवी के मध्य के हैं, उसके पूर्ववर्ती नहीं है । यद्यपि बोली के रूप में प्राकृतें अनेक रही हैं, उनमें संस्कृत के समान एकरूपता नहीं है । संस्कृत के दो ही रूप मिलते हैं, आर्ष और परवर्ती साहित्यिक संस्कृत । जबकि प्राकृतें अपने बोलीगत विभिन्न रूपों के कारण अनेक प्रकार की हैं। विविध प्राकृतों का एक अच्छा संग्रह हमें मृच्छकटिक नामक नाटक में मिलता है । किन्तु प्रस्तुत आलेख में मैंने उन सबका उल्लेख न करके जैन साहित्य के सन्दर्भ को ध्यान में रखते हुए अर्द्धमागधी, जैन शौरसेनी और महाराष्ट्री प्राकृत का ही उल्लेख किया है और साथ ही काल क्रम में उनके विकासक्रम का भी उल्लेख किया है । यद्यपि कुछ अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान और अफगानिस्तान की पैशाची प्राकृत भी प्राचीन प्राकृत रही है । किन्तु कुछ अभिलेखों और नाटकों में प्रयुक्त उसके कुछ शब्दरूपों के अतिरिक्त उस सम्बन्ध में अधिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। जहां तक प्राकृत धम्मपद का प्रश्न है वह उससे प्रभावित अवश्य लगता है, किन्तु वह विशुद्ध पैशाची का ग्रन्थ है, यह नहीं कहा जा सकता है । सामान्य रूप से प्राकृत भाषा के क्षेत्र की चर्चा करनी हो तो समस्त योरोपीय क्षेत्र एक समय में प्राकृतभाषी क्षेत्र रहा है । आज भी अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी आदि वर्तमान यूरोपीय भाषाओं तथा प्राचीन ग्रीक, लेटिन आदि में अपने उच्चारणगत शैलीभेद को छोड़कर अनेक शब्दरूप समान पाये जाते हैं। मैंने कुछ अर्धमागधी प्राकृत शब्दरूपों को वर्तमान अंग्रेजी में भी खोजा है, जैसे- बोंदी बाडी, आउट्टे = आउट, नो = नो, दार = डोअर, जो दोनों में समान अर्थ में प्रयुक्त होते हैं । भातर ब्रदर आदि = ८७ =Page Navigation
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