Book Title: Arddha Kathanak
Author(s): Banarasidas
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ १९८५ में बीना (म. प्र.) में द्वितीय शिविर एवं १९८६ में मलाड बम्बई (महाराष्ट्र) में तृतीय शिविर सफलता पूर्वक आयोजित किये जा चुके हैं। ३. समाज को प्रवचनकार विद्वान उपलब्ध कराना:-पर्युषण पर्व के अतिरिक्त वर्ष के तीनों अष्टान्हिकाओं, महावीर जयन्ती आदि पर्वो में तथा इसके अतिरिक्त लगने वाले शिक्षण-शिविरों में समाज के प्राग्रह पर प्रवचनकार व कक्षा लेने वाले विद्वानों की व्यवस्था की जाती है। अभी तक अनेक विद्वानों को उक्त पर्वो पर समाज में भेजा जा चुका है। इस व्यवस्था की सफलता का मुख्य श्रेय आदरणीय ब्र० पण्डित जतीशचन्द जी शास्त्री को है, जिनकी वजह से विद्वानों का सहयोग निरन्तर मिलता रहा है । ४. प्रवचन प्रसार-योजना :-पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी के प्राध्यात्मिक प्रवचन एवं तात्विक प्रवचनकार विद्वानों के प्रवचनों का अचार इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। साथ ही आध्यात्मिक भजन, भक्ति आदि के कैसिट भी प्रसारित किये जाते हैं। अभी तक इस विभाग ने १५,६१० कैसिट समाज में पहुँचाये हैं। ५. वार्षिक अधिवेशन एवं कार्यकर्ता सम्मेलन :-शाखाओं के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श करके गतिविधियों की जानकारी एवं नवीन योजनाओं पर विचार-विाई करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष अधिवेशन एवं पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, प्रशिक्षण-शिविर, जयपुर शिक्षण-शिविर तथा वार्षिक मेला आदि विशेष अवसरों पर कार्यकर्ता सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है। अभी तक कुरावड़, चांदखेड़ी, मलाड़-बम्बई, फिरोजाबाद इन्दौर, भीलवाड़ा, भिण्ड, मुरार-ग्वालियर, बीना तथा बम्बई में वार्षिक अधिवेशन सम्पन्न हुये तथा अजमेर, बड़ौदा, जयपुर (पांचवार) अहमदाबाद, बागीदौरा तथा सागर में कार्यकर्ता सम्मेलन हुये। ६. जनपथ प्रदर्शक में 'युवा भारत' स्तम्भ :-फैडरेशन की गतिविधियों की जानकारी हेतु जैनपथ प्रदर्शक (पाक्षिक) में 'युवा भारत' स्तम्भ प्रकाशित किया जाता है। __७. स्मारिका प्रकाशन :-फैडरेशन द्वारा अभी तक 'दिव्यालोक' स्मारिका का प्रकाशन तीन पुष्पों में किया गया है। इसी शृखला में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 184