Book Title: Anyayog Vyavacched Dwatrinshika Author(s): Manvijay Publisher: Satyavijay Jain Granthmala View full book textPage 1
________________ अहेम् । अनुगामायाणकारी राई नियाणिपादोया नमः कलिकामयज्ञ श्रीमान हेमचंद्र सूरीश्वर निमिता ॥ ॥ अन्ययोगव्यवच्छेदहै द्वात्रिंशिका ॥ ( स्याहादमञ्जयुद्धतावचूरिसहिता ) Name अनुयोगाचार्य पंन्यासश्रीहर्ष विजयगणि शिष्य |मुनि मानविजयन संशोधिता। अमदास्य नारीधरायोटिका निवासी विचार हा विधया जेकर छाई इन्यनस्या द्रव्य स्वशारयेन । श्री सत्यविजयजैनग्रन्थमालायाः माननीयकार्यवाहक श्रेष्ठिवर्य बालाभाइ मूलचंद्र-अमदावाद. त: ४८३, अभूमध. सन् १९२४Page Navigation
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