Book Title: Anusandhan 2012 03 SrNo 58
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 160
________________ १५४ अनुसन्धान-५८ १२. स्वाति १२. श्यामार्य १३. श्यामार्य १३. स्कन्दिल' १४. साण्डिल्य १४. रेवतिमित्र १५. समुद्र १५. धर्म १६. मंगू १६. भद्रगुप्त १७. धर्म १७. श्रीगुप्त १८. भद्रगुप्त १८. वज्र १९. वज्र स्पष्ट छे के माथुरी गणना प्रमाणमां अप्रसिद्ध ओवा गुणसुन्दर, रेवतिमित्र अने श्रीगुप्तने गणनामां नथी लेती. पण तेने स्थाने बीजा प्रसिद्ध श्रुतधर भगवन्तोने गणे छे. ज्यारे वालभी गणना श्रुतज्ञानसम्पत्तिने ज वधु महत्त्व आपे छे. जो के तेम करवा जतां वालभी गणनामां ओक मोटी गरबड थई गई जणाय छे. आर्य यशोभद्र पछी जेम आर्य सम्भूतिविजय अने आर्य भद्रबाहु ओम बे चौदपूर्वधरो ओक साथे वाचनाचार्य थया, तेम भद्रगुप्तसूरिजी पछी पण श्रीगुप्ताचार्य अने वज्रस्वामी ओम बे दशपूर्वधरो वाचनाचार्य थया छे. जेमां श्रीगुप्ताचार्य १५ वर्ष अने वज्रस्वामी ३६ वर्ष पट्टधर रह्या छे. माथुरी गणना तो श्रीगुप्ताचार्यने उल्लेख्या वगर सीधा वज्रस्वामीने ज भद्रगुप्तसूरिना पट्टधर दर्शावे छे. ज्यारे वालभी गणना बन्नेने अलग अलग पट्टधर गणे छे. पण आम करवामां से गरबड थई छे के, आर्य भद्रबाहुनो कुल युगप्रधानत्पर्याय २२ वर्षनो होवा छतां, गणतरी वखते तेमना समकालीन आर्य सम्भूतिविजयना ८ वर्ष बाद करीने जेम १४ वर्षनो गणवामां आवे छे तेम, वज्रस्वामीनो वाचनाचार्यपर्याय तेमना समकालीन श्रीगुप्ताचार्यना १५ वर्ष बाद करी २१ वर्षनो गणवो जोइतो हतो. पण तेने बदले वालभी गणनाकारोओ भद्रगुप्तसूरिजीना स्वर्गवास पछी श्रीगुप्ताचार्यना १५ वर्ष गणी त्यारबाद वज्रस्वामीना ३६ वर्ष गण्यां छे. जेने लीधे ओ गणना १३ वर्ष जेटली माथुरी गणनाथी जुदी पडे छे. खरेखर तो आ रीते जोतां बे वाचनाचार्य-गणनाओ वच्चे श्रीगुप्ताचार्यनां १५ वर्षो उमेरायां होवाथी, १५ वर्षनो फेर पडवो जोइओ, पण वास्तवमा १३ १-२. आर्य स्कन्दिल अने आर्य साण्डिल्य एक ज व्यक्ति छे ओवी मान्यता छे.

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