Book Title: Anusandhan 2010 03 SrNo 50 2 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ अनुक्रमणिका पुण्यबत्रीसी उपा. भुवनचन्द्र १ गूढार्थ दोहाओ अने अन्य सामग्री : परम्परागत लोकवारसानु जतन सं. डॉ. निरंजन राज्यगुरु वादी हर्षनन्दन कृत जिनसागरसूरि गीतानि म. विनयसागर २५ साध्वीजी भावलक्ष्मी धुलबन्ध सं. मुनिसुजसचन्द्र-सुयशचन्द्रविजयौ ३६ श्रीहंसराजपोसाल धुलबन्ध (गब्धारनी प्राचीनता) सं. मुनिसुजसचन्द्र-सुयशचन्द्रविजयौ सं. १७३०नु अमदावादनी नानी दोशीहटीमांनी पंचहटी मध्येनुं हाटग्रहणक (गिरो) खतपत्र रसीला कडीआ ४५ मरमी संत आनन्दघन अने तेमने परम्परा प्राप्त जैन चिन्तनधारा नगीन जी. शाह ५२ मौखिक अने लिखित परम्पराओ सन्दर्भ बोले बांधनारनी कथाओ हसु याज्ञिक ६१ अज्ञातकर्तृक प्राकृत प्रश्नगर्भपंचपरमेष्ठि-स्तव प्रो. नलिनी बलवीर अर्धमागधी भाषा का उद्भव एवं विकास प्रो. सागरमल जैन ८४ क्या 'आर्यावती' जैन सरस्वती है ? प्रो. सागरमल जैन ९५ हिन्दु और जैन व्रत : एक क्रियाप्रतिक्रियात्मक लेखाजोखा डॉ. अनीता बोथरा १०३ आर्षभी विद्या : परिचय म. विनयसागर १२३ ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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