Book Title: Anusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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मार्च २०१०
यत्न यात्रा नै यागफल, जन्म योग सुविचार; जीवदया जगि जाणीयइ, ए पुन्न पुण्यहि अंकूर. राणिम रूप रिद्धिपण, राजभेदि ( ? );
राग रेवंता रिणय धण, ए पुन्न पुण्य अहिनाण. लाडू लावन्न लापसी, लक्षण लीलावंत, ललना लाज लाखणी, ए पुन्न पुण्य विचारि. विद्या वाद विणिजपण, वर खाण व्यवहार; वाजी बैसण वयवपुण ( ? ), ए पुन्न पुण्यहि अंकूर. शसिवयण संतोष घण, शिवसुह सुखह झाण;
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खुरहडी : कोपरं ( खरहडी खरवडी : खेरनी गोळी
रासि रयणी त शाणपण, ए पुन्न पुण्य अहिनाण. षिमा षडग षेत्रहि षरा, षिती षंतह वास;
क्षेत्री षाज वाय को नही ( ? ), ए पुन्न पुण्य विचार. २८ सुकुमाल समाणी सहेलडी, साहस सुख संपति;
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गाला : गळानुं बंधन घीओ (घीउ) : घी चाओ : धनुष्य जासक : खूब सारी पेठे जोड : अहीं 'बळदनी जोड' झालि : काननुं आभूषण
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सुगुण सुरूप सुशील तनु, ए पुन्न पुण्य अंकूर.
हाय हाम हरिख हुई, हयवर हींसै बारि;
`हाथी चीर ज (?) पामीयई, ए पुन्नहि पुण्य अहिनाण. ३०
इति श्री पुण्यबत्रीसी संपूर्ण ।
शब्दकोश
म.गु.को.)
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