Book Title: Anusandhan 2010 03 SrNo 50 2 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 9
________________ अनुसन्धान ५० (२) झल्लरीनाद झमक पय, झमझमकाली नारि; झालि झबूको झलहलइ, ए पुन्न पुण्य विचार. टाक टमको टहूकडो, टंकावलि टंकारि; टचकै वयण टामक घण, ए पुण पुण्यह विचारि. ठाओ ठमको ठहरइ, ठमकाली टं(ठं?)कार; ठाकुर ठाउ ठसक घण, ए पुण पुण्य विचारि. डाडी डोकर डाकरा, डहला डावर साल; डागलि बेसण डाहपुण, ए पुण पुन्यविचारि. ढोलक ढमकै बारणे, ढालू ढोल अपार; ढोलै ढाल सोहामणी, ए पुण पुन्य विचारि. तेजी तोरण बारणै, तरकस नै तरवारि; तंबोल तलित घण, ए पुन्न पुण्य अहिनाण. थाहर थानक थापणी, थूण सुजाण थभाण; थर थावर सुधिर घिरि, ए पुन्न पुण्य अंकूर. दान दया पर–त्तरस, दही पीजै गाध; दास दाडिम दीकरा, पुण्णहि पामै पुद्ध (?) धान धन धरित्त धव, धुणहि धयवड वारि; धज धव ललीय, ए पुन्न पुण्य विचारि. पान पदारथि प्रगटपण, पारख प्रगट प्रधान; प्रिय पाडोसणि प्रीति घण, ए पुन्न पुण्य अंकूर. फोफल फाडा फरहरइ, फारक घरनइ बारि; फूल घणा फलली (?), ए पुन्न पुण्य अहिनाण. बालपणै बूढपणइ, बिन्है बहुत्त सुजाण; बाई बेटा बेहेनडी, ए पुन्न है पुण्य विचारि. भाई भामणि भूपपण, भलपणे भरत्तार; भोज भाव अरोगीय, ए पुन्नहि पुण्य अंकूर. मणि माणिक मुत्ताहला, हय मयगल अति मयमत्त; मानणि माण महुत्त घण, ए पुन्न पुण्य विचार. १८ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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