Book Title: Anekant 1970 Book 23 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 269
________________ २५०, वर्ष २३, कि.५-६ अनेकान्त मिट्टी, जवाहिरातों, धातु और हाथी दांत की बनी हास पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला है। राजमित्र का यूप. बहुत सी मुद्राएं भी मिली है जिन पर प्रायः मुद्रा के प्रभिलेख कौशाम्बी मे सम्पन्न पुरुषमेध यज्ञ के होने की स्वामी का नाम उत्कीर्ण है और कुछ चिह्न भी अंकित सूचना देता है। समुद्रगुप्त की इलाहाबाद-प्रशस्ति ही हैं । ये मुद्राए लगभग तीसरी शती ई० पू० से १०वी शती उसके कार्यकलापों का एकमात्र पूर्ण विवरण प्रस्तुत करती ई. तक की है और इनमे धार्मिक, नगमिक, राजकीय है। मुसलमान इतिहासकारों द्वारा उल्लिखित राजा बल्किएवं निजी, सभी प्रकार की मुद्राएं सम्मिलित हैं जो राज- वो मल्कि को चीन्हने के लिए उद्दल देवी का अभिलेख नैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश एक अत्यन्त वाछनीय सूत्र प्रस्तुत करता है। अन्त में डालती हैं। लक्ष्मण का अभिलेख गाहडवाल सवत् के प्रयोग का एक लगभग २६० ई० पूर्व से १२४८ ई. तक के एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। मौ से भी अधिक प्रभिलेख यहां मिले है जो वत्स के ही अपनी विविध प्रचुर सामग्री, भौगोलिक अवस्थिति से इतिहास की नही वरन् सम्पूर्ण भारतीय इतिहास की उद्भुत प्राचीन भारत के राजनैतिक इतिहास के निर्माण कितनी ही गुत्थियो को सुलझाने में सहायता प्रदान करते मे अपनी प्राधारिक स्थिति, भारतीय धर्मों के विकास मे है। प्रशोक के प्रहरौरा से प्राप्त अभिलेख ने उसके प्रथम अपने योगदान, और सभ्यता के प्रारम्भ से ही हमारे लघु शिलालेख का सही प्राशय स्पष्ट करने में सहायता शोधाधीन समय के अन्तिम दिनों तक भारतीय जनदी है। उसके सघ भेद प्रभिलेख ने उसकी बौद्ध धर्म जीवन को समृद्ध करने के लिए अपने निरन्तर प्रयास के को सरक्षण प्रदान करने से सम्बन्धित साहित्यिक मनु- कारण समग्र दृष्टि से देखने पर भारतीय इतिहास में वत्स श्रुतियो की पुष्टि की है । भाषाढ़ सेन के पभासा की गुफा जनपद का अपना एक विशिष्ट एव स्पृहणीय स्थान है। में उत्कीर्ण लेखो ने अशोक-पश्चात् उत्तरी भारत के इति -ज्योति निकुंज, चारबाग, लखनऊ पता 'अनेकान्त' के स्वामित्व तथा अन्य ब्यौरे के विषय में प्रकाशक का स्थान वीर सेवा मन्दिर भवन, २१, दरियागज, दिल्ली प्रकाशन की अवधि द्विमासिक मुद्रक का नाम प्रेमचन्द राष्ट्रीयता भारतीय २१, दरियागज, दिल्ली प्रकाशक का नाम प्रेमचन्द, मन्त्री, वीर सेवा मन्दिर राष्ट्रीयता भारतीय पता २१, दरियागंज, दिल्ली सम्पादकों का नाम डा० प्रा० ने० उपाध्थे, कोल्हापुर, डा. प्रेमसागर, बडौत यशपाल जैन, दिल्ली, परमानन्द जैन शास्त्री, दिल्ली गष्ट्रीयता भारतीय पता मार्फत : वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागंज, दिल्ली स्वामिनी सस्था वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागज, दिल्ली मै प्रेमचन्द घोषित करता है कि उपयुक्त विवरण मेरी जानकारी और विश्वास के अनुसार सही है। १७-२-७१ ह. प्रेमचन्द -

Loading...

Page Navigation
1 ... 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286