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संस्थान समाचार
अनेकान्त की घोर से आप के लिए
प्रस्तुत ऋद्ध के साथ अनेकान्त अपने २३ वर्ष पूर्ण कर रहा है । इस अवसर पर अनेकात को ओर से इसके पाठको, यसको को पर पार्थिक सहयोग प्रदान करने वाले महानुभावो के प्रति हम अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और आशा करते है कि घागामी वर्षों के लिए भी सभी की शुभ-कामनाएं और सहयोग पूर्ववत् प्राप्त होगा ।
अनेकान्त को और अधिक व्यापक तथा उपयोगी बनाने विद्वानों का मक्रिय सहयोग प्राप्त करने के प्रयत्न किए जा रहे है अनेकात को विशेष स्वरूप दिया जा सकेगा ।
पर इस सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है आपका सहयोग । अनेकान्त की ग्राहक संख्या संचालक समिति मे कई बार यह प्रश्न प्राता है कि इसे चलाया परिस्थितियों में अनेकान को बन्द करने का निर्णय लिया गया तो अनुमपान करने वालो के लिए एक अपूरणीय क्षति होगी ।
के उद्देश्य से विशेष दृष्टि सम्पन्न और अनुभवी और बाधा है कि २४ वर्ष के आरम्भ से ही
अतएव आपसे अनुरोध है कि आप अपना मस्थाओ को भी इसका ग्राहक बनने को प्रेरित करे। मके या अपने मित्रों से बहुमूल्य प्रभिमत भी अवश्य क्या प्रयत्न किए जाये ।
अत्यल्प है । इसलिए जाये या बन्द कर दिया जाये । यदि किन्ही निश्चय ही जैन विद्याओं के विविध क्षेत्री मे
तत्काल भेजे हो, अपने मित्रो तथा सम्बद्ध अनेकात के लिए विशेष मार्थिक सहयोग दे आपसे यह भी अनुरोध है कि आप अपना भेजे कि अनेकान्त को और अधिक व्यापक उपयोगी तथा स्वावलम्बी बनाने के लिए
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ग्राहक शुल्क तो और यदि भाप
दिला सके तो हम आपके अत्यन्त कृतज्ञ होगे
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वीर सेवा मन्दिर को केन्द्रीय शोध संस्थान बनाने का संकल्प
हमारी हार्दिक इच्छा है कि वीर सेवा मन्दिर को जैन विद्याओ के उच्चस्तरीय अध्ययन अनुसंधान के लिए केन्द्रीय शोध संस्थान के रूप में विकसित किया जाये तथा इसके द्वारा संचालित होने वाले शोध कार्यो को और अधिक व्यापकता देने के लिए इसे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया जाये ।
वीर सेवा मन्दिर के संस्थापक स्व० आचार्य जुगलकिशोर जी मुख्तार साहब तथा बहुत समय तक सस्था के कार्य का संचालन करने वाले अध्यक्ष स्व० बाबू छोटेलाल जी ने प्राचीन जैन साहित्य, संस्कृति, पुरातत्त्व के अन्वेषण के जी महत्वपूर्ण कार्य पारम्भ किए थे उनको धागे बढाने तथा कार्य की नयी योजनाएं बनाने के लिए यह नितान्त घावश्यक है कि सस्था की एक और दर्शन, साहित्य, मस्कृति और पुरातत्व के विशिष्ट विद्वानों का सहयोग प्राप्त हो, दूसरी ओर ऐसे श्रीमानों का सहयोग उपलब्ध हो जो इन योजनाम्रो को आगे बढ़ाने तथा पूरा कराने में प्राधिक सहयोग करें।
वीर सेवा मन्दिर की वर्तमान कार्य प्रवृत्तियो को किस प्रकार गति दी जाए तथा केन्द्रीय शोध संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए क्या प्रयत्न किए जाएं, इस सम्बन्ध में विचार करने और रिपोर्ट देने के लिए कार्यसमिति की पिछली बैठक में एक उपसमिति बनायी गयी थी, जिसके चार सदस्य थे- डा० प्रा० ने० उपाध्ये, डा० गोकुलचन्द्र जैन, श्री यशपाल जैन, धी बंशीधर शास्त्री उपसमिति की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है तथा उसे क्रियान्वित करने के सम्बन्ध मे अपेक्षित कार्रवाई की जा रही है ।
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समाज के विद्वानों और श्रीमानो से विनम्र अनुरोध है कि राजधानी में जैन विद्यामो के अध्ययनअनुसन्धान के लिए वीर सेवा मन्दिर को केन्द्रीय शोध संस्थान का स्वरूप देने में अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करे ।
-व्यवस्थापक