Book Title: Anekant 1970 Book 23 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 277
________________ जैनॉलॉजिकल रिसर्च सोसाइटी के तत्वावधान में प्रायोजित राजस्थान सेमिनार संयोजक-प्रो. प्रेम सुमन बन; प्रकाश परिमल, बीकानेर २६, ३० नवम्बर '७० को बीकानेर में राजस्थान श्री बलवन्तसिंह मेहता ने उद्घाटन किया। मापने कहा इतिहास प्रेस के चतुर्थ अधिवेशन के अवसर पर जैनॉ कि राजस्थान में जैन विद्यानों की सामग्री पग-पग पर लॉजिकल रिसर्च सोसायटी के तत्त्वावधान में स्थानीय बिखरी पड़ी है। उसकी पूरी सुरक्षा होनी चाहिए। सदस्यों द्वारा १ दिसम्बर १९७० को एकदिवसीय क्योंकि यदि राजस्थान के इतिहास मे से जैन संस्कृति के राजस्थान सेमिनार का प्रायोजन किया गया। लगभग सहयोग को निकाल दिया जाय तो वह फीका पड़ जाएगा। ४० प्रतिनिधियों ने सेमिनार में भाग लिया। उनमें प्रमुख जैन विद्यापो के, अध्ययन-अनुसन्धान को यदि पर्याप्त थे-डॉ० दशरथ शर्मा जोधपुर, डॉ. गोपीनाथ शर्मा गति यहाँ मिली तो अनेक संघर्ष स्वयमेव समाप्त हो सकते जयपुर, श्री बलवन्त सिंह मेहता उदयपुर, डॉ. जगत- हैं। जैन समाज के कार्यकर्तामों को अधिक सजग रहने नारायण प्रासोपा जयपुर, डॉ० रामचन्द्र राय, डॉ. की पावश्यकता है कि उनके शास्त्री एवं मूर्तियों का कस्तूरचन्द कासलीवाल, डॉ गोपीचन्द वर्मा, श्री रामवल्लभ व्यापार न हो पाये। सोमानी, डॉ० वशिष्ठ, कु. फूलकुवर जैन, कु. सुनीता सेमिनार के सयोजक प्रो. प्रेम सुमन जैन ने जैनाजोहरी, सत्यनारायण पारीख, कु. पयजा,डॉ. मनोहर लोजिकल रिसर्च सोसायटी का प्रगति विवरण प्रस्तुत शर्मा, श्री अगरचन्द नाहटा, श्री ज्ञान भारिल्ल, श्री देव- करते हुए बतलाया कि सोसायटी की स्थापना जैन कुमार जैन, प्रो. विजयकुमार जैन, श्री प्रीतमचन्द जैन, विद्यानों के उच्चस्तरीय प्रध्ययन-अनुसंधान को सही डॉ. त्रिलोकचन्द जैन, श्रीमती डॉ. किरण जैन, श्री दिशा प्रदान करने एवं विद्वानों में सहयोग-सम्पर्क बनाये प्रकाश परिमल, श्री रमेश जैन, श्री ज्ञानचन्द सुराना, रखने के लिए हुई है। सोसायटी शीघ्र ही एक पत्रिका श्री नरेन्द्रसिंह कोठारी, श्री सुमेरचन्द जैन, श्री शान्ति लाल प्रकाशित कर रही है, जिसमें जैन विद्याभों के अध्ययन जैन, डॉ. महावीर राज गेलड़ा, श्री सत्यनारायण स्वामी, अनुसंधान का अपटूडेट विवरण प्रस्तुत किया जायगा। श्री रामप्रसाद जैन, डॉ० बी० के. जैन, श्री जी. एस. मई १९७१ में दिल्ली में समर इन्स्टीट्यूट प्रॉफ जैनोंजैन तथा श्री महेन्द्र कुमार जैन आदि । लाजिकल स्टडीज का प्रायोजन करने का विचार किया उद्घाटन समारोह: जा रहा है। सेमिनार का उद्घाटन समारोह, १ दिसम्बर १९७० उद्घाटन समारोह के अध्यक्ष डॉ० गोपीनाथ शर्मा, को प्रात: १०३ बजे श्री मगनमल कोचर द्वारा णमोकार इतिहास विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर ने मन्त्र एवं सरस्वती वन्दना से प्रारम्भ हुमा । स्थानीय सेमिनार के प्रायोजन का स्वागत करते हुए कहाजैन समाज के प्रमुख व्यापारी एवं जैनकला प्रेमी श्री राजस्थान के प्रामाणिक इतिहास निर्माण के लिए यह मोतीचन्द्र खजाची ने सेमिनार में सम्मिलित सभी प्रति- एक शभ प्रयास है। राजस्थान की संस्कृति को जैननिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार को जैन प्राचार्यों ने अपने साहित्य में सुरक्षित रखा है। उन्होंने कला अवशेषों की सुरक्षा मे रुचि लेना चाहिए । क्यों कि प्रेस के प्रभाव को अपनी कार्य क्षमता के कारण अनुभव जैन कला और दर्शन ने भारतीय कला और दर्शन को नहीं होने दिया। उनके साहित्य में केवल जैनधर्म के जीवित रखा है। सेमिनार का उद्घाटन डॉ. गोकुल- सिद्धांत ही वणित नहीं है, अपितु जिन बातों से जन चन्द्र जैन, भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली के द्वारा होना कल्याण हो सकता था उन सबको उन्होंने अपने साहित्य निश्चित था। किन्तु उनके न पा पाने से मेवाड़ इतिहास में स्थान दिया है । जैनाचार्यों की भारतीय इतिहास एवं के मर्मज्ञ विद्वान् एवं राजस्थान सरकार के भूतपूर्व मंत्री संस्कृति को यह अमूल्य देन है। राजस्थान में जैन विद्यामों

Loading...

Page Navigation
1 ... 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286