Book Title: Ancient Jaina Hymns
Author(s): Charlotte Krause
Publisher: SCIndia Oriental Institute Ujain

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Page 12
________________ following Sanskrit stanzas I have attempted to express this gratitude in the way of the bards of yore: यत्सेवाभयकल्पपादपवने सद्भावमेघोक्षिते न्यायाचारसमीरशीतविटपे नीत्यौषधैर्वासिते । । पूज्याचार्यकवीन्द्रनिर्मितवरस्तोत्रादिपुष्पोत्करं संचित्येममगुम्फमत्र विदुषां सद्बोधये ग्रन्थकम् ॥१॥ यद्राज्ये सुखशान्तिशालिनि सदा सारा विशाला-गता ज्ञानश्री रमते विकस्वररुचिर्ग्रन्थालयोद्भासिता। चैत्यं चाश्रयिणी गुरोर्विजययुग्विद्यांकितेनर्षिणा धर्मश्रीः करुणारता शिवपुरे संरक्षिता शोभते ॥२॥ हारामसुरम्यगोपनगरे वात्सल्यसौम्याजिता राजश्रीविलसत्यसौ च विमला यस्य प्रतापान्विता । जीवाजीपृथिवीपतिर्विजयतां श्रीमान्स सद्भावयुग इत्याशीमम हृद्गता सफलतां यायात्सुभद्रा शुभा ॥३॥ Ujjain, Scindia Oriental Institute, Makara Sankranti, 1947. CHARLOTTE KRAUSE.

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