Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ ओववाइयसुत्तं णं देवाणुपिया णामगोत्तस्सवि सवणयाए हतुट्ठ जाव हियया भवंति, से णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुग्गामं दूइजमाणे चंपाए णयरीए उवणगरगाम उवागए चंपं णयरिं पुण्णभदं चेइयं समोसरिउकामे, तं एयं णं देवाणुप्पिाणं पियट्टयाए पियं णिवेदेमि, पियं ते भवउ // 10 // तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते तस्स पवित्तिवाउयस्स अंतिए एयमळं सोच्चा णिसम्म हड्तुह जाव हियएधाराहय-नीव-सुरभिकुसुम-चंचुमालइय-उच्छिय-रोमकूवे, वियसियवरकमलणयणवयणे पयलियवरकडगतुडियकेऊरमउडकुंडलहारविरायंतरइयवच्छे पालंबपलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं णरिंदे सीहासणाओ अब्भट्ठेइ 2 त्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ 2 त्ता पाउयाओ ओमुयइ 2 त्ता अवहटु पंच रायककुहाई तंजहा-खग्गं 1 छत्तं 2 उम्फेसं 3 वाहणाओ 4 वालवी पणं 5 एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ 2 त्ता आयते चोक्खे परमसुइभूए अंजलिमउलियग्गहत्थे तित्थगराभिमुहे सत्तह पयाई अणुगच्छइ सत्तह पयाहं अणुगच्छित्ता वामं जा' अंचेइ वामं जाणुं अंचेत्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि साहटटु तिक्खुनो मुद्धाणं धरणितलंसि णिवेसेइ 2 त्ता ईसिं पच्चुण्णमइ पच्चुण्णमित्ता कडगतुडियर्थभियाओ भुयाओ पडिसाहरइ 2 त्ता करयल जाव कटु एवं वयासी-णमोऽत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं आइगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोयगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिंदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मणायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टीणं दीवो ताणं,सरणं गई पइहा अप्पडिहयवरणाणदंसणधराणं वियदृछउमाणं जिणाणं जावयाणं तिण्णाणं तारयाणं बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोयगाणं सव्वन्नूणं सव्वदरिसीणं सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तिसिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं, णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स तित्थगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इह गए, पासइ मे (मे से) भगवं तत्थ गए इह गयंति कटु वंदई णमंसइ वंदित्ता. णमंसित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे 'णिसीयइ जिंसीइत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अट्रुत्तरसयसहस्सं पीइदाणं दल यइ दलइत्ता सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारित्ता सम्माणित्ता एवं वयासी-जया णं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे इहमागच्छेजा इह समोसरिजा इहेव चंपाए णयरीए

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