Book Title: Akashgamini Padlepvidhi kalpa
Author(s): Siddh Nagarjun
Publisher: Jain Prachin Sahityoddhar Granthawali

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kalassagaran Gyanmandir १०२ है पहले मंत्रको साढावाराहजार जप कर सिद्ध करले ज्यादा जपे तो और भी बहुत अच्छा हो जिस को अपने | #काबु में करना हो उसका ध्यान और नामसे जपे और व्याख्यानादि में पास में रखे व्याख्याता का वचन सब उठाते आकाशहै हाथा जोडीके प्रभाव से जिसका ध्यान करो एक डब्बी में पूजाकर रखलो वहीं वशमें हो जाता है सिद्ध वस्तु है गामिनी |१७० गली १७२ कुसतौ ४९ रतांजनी १७५ महदीफल ए चार वाना एकठा करवां पछे कडउ तुंवडो आनीइ विट कापीमुख कांजे कोरि नी खंखेरीइ खंखेरता गीर निकले ते काढीइने खरमुत्र से. १ तोलिने । तुंवडामाही घालीइ पछे ओषध ४ तेमाहि घालीने मुखविडीइ रूडी धेरे राखीइं जिवारि स्त्रीने मास ४ त. ५ त. ६ हुआजांनी ते तुंबडो उपायकरनी जे घरमा स्त्रीना सूआवडि करनार होवइं ते घरमा पेसतां । वारसाख उंवरा हेठ खणी घालीई ते तुंवडो जिम जिम स्त्री उलंडी जाय आवें तिम तिम अधिक गुणथाइ पळे ते स्त्रीने मास पुरा थया जाणीनि अने प्रसव समें सावधान रही प्रसव समें तुंबडं काढीइं उपरि छलो राखिइं ओषड मुत्रने वाय लागबा छोरु जण्या पछी शीघ्र तुंवडु काढीइ मुख उघाडी ओषड घुमडो भरिनि बालकाना मुखमहीनीचोइई बाकी औषध सर्व नाखी दीजे ते छोरु सही जीवे सर्वे औषधमेकीकृत्य ओदनवारिणा संपिष्य पादले यथा सुखं खे विचरति २८ सब दवाको चावल धोनसे पीसकर पाद लेप करे तो यथेच्छापूर्वक उडकर जाया जाता है. For Private And Personal use only

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