Book Title: Akashgamini Padlepvidhi kalpa
Author(s): Siddh Nagarjun
Publisher: Jain Prachin Sahityoddhar Granthawali

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Page 33
________________ San Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailassagarsan Gyanmandir आकाशगामिनी विद्याकल्प द्वादश १२ तेरा १३ युगम २ सत ७ । एसभी समकरी पीसि ॥ लेपजोनीपर किजीये । होइ भामनि वसि ॥४॥ रुद्र ११ चतुर्दश १४ एक १ वसु८। सब सम एक पिसाय ॥ भगलेपन वसीभामिनी। इह ही सिद्धि उपाय ॥५॥ |तिथी १५ दस १० वेद ४ अरु वाणही५ । बाटी एकठीसोइ ॥ पानकरत वशीभामनी । सिद्धउपाय इह सोय ॥ ६॥ द्वादश १२ तेरा १३ राम ३ रस ६ । सबसमलेइ पिसाई । लेप अंगपर करतही । जलमखि से न कराई ॥७॥ द्वादश १२ चउदा १४ रुद्र ११ सत ७। सब सम पीस सुजान ॥ पाद लेप जो कीजीये । जलथंभे इक ठान ॥८॥ | आठ ८ दश १० अरु पंचही ५। सब सम जल पीसवाय ॥ ता उपरि लेपन करो । गजदहरो मिटजाई ॥९॥ | जोगेश्वर ९ दश १० वेद ४ तिथी १५ । सव कीजे इकसंग ॥ लेप अंग परि कीजिये । होइ शस्त्रका भंग ॥१०॥ तिथी १५ द्वादश १२ अरु रस ६ शशि १। सब सम पीसो सोई॥पानकरे सो वसि हुवे। इह उपाय सिद्धि होई ॥११॥ वसु ८ षोडस १६ अरु सात ७ जुग२। पिसी लेप करवाय॥ सो नर नाही दाझिसी । अनंग थंभ होइ जाय ॥१२॥ चौदा १४ वाण ५ अरु वेद ४ रुद्र ११ । पीसकर गुटिका कीन ॥ टंक टंक नित भक्षये । क्षुधाअधिक परवीन ॥१३॥ सप्त ७ चतुर्दश १४ वेद ४ नव ९। पीसो समकरि सोय ॥ अंगलेप जो कीजीये । जलथंभन इम होय ॥१४॥ जरामजु ३ षोडस १६ दिग् १० तिथी १५ । एह वसत पिसवाय ॥ लेपन कीजे विधिसुं । पुष्ट लिंग होइ जाय ॥१५॥ तेरा १३ दश १० वय ३ आठही ८। पीसो समकरि सोइ ॥ लिंगलेप मैथुन कसे । तव कामनी वसी होइ ॥१६॥ तेरा १३ इग्यारा ११ आठ ८ द्वय २।ए सब सम पिसवाय ॥ पान करे जब पुरुषही । सुख वनिता अतिपाय ॥१७॥ दश १० नव ९ आठ ८ अरु सातही ७। पीसो समकरि सोइ ॥ लेपन कीजे हाथपर । दुत विद्या जय होइ ॥१८॥ ३१ For Private And Personal Use Only

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