Book Title: Ajitsen Shilwati Charitram
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Ajitsagarsuri Shastra Sangraha

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Page 225
________________ Aparasangramma सम्यक्संस्कृतपद्धिसिद्धिसदनं सर्वोचते। साधन, सच्छास्त्रागमतच्चविविजयते वक्ताप्रसिद्धः सदा ।। ३०॥ अजितसेनचरित्रमिदंशु, शुभरसोर्जितमात्महितावहम् । विरचितंविरतिप्रियसारिणा, भजितसागरसद्गुरुणामुदे ॥३१॥ श्रीमद्विक्रमतोऽग्निसिद्धिनिधिभूसंक्रामिते ( १९८३) वत्सरे, चातुर्मास्यकृते स्थितेन मुनिना हेमेन्द्रशिष्याणुना। संदृन्धाऽऽश्चिनपूर्णिमाशशधरे विद्यापुरे पूर्वरे, सम्पूर्णाविहिता प्रशस्तिरनघा ग्रन्थप्रणेतुः शुभा ॥ ३२ ॥ For And Persone n

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