Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 29
________________ ૨૮ आगमसद्दकोसो વનસ્પતિનું ફૂલ अंजणागिरि [अञ्जनागिरि हिरास्ति 2पत्र. ४६४; વિશેષ अंजणग [अञ्जनक हुमो. 'अंजणक' ठा. ७५५; जंबू. १९५; ठा. ३२६ थी ३२९: उव. ५; अंजणी [अञ्जनी]४नी थी जीवा. २९४; जंबू. ४६: सूय. २८४ अंजणगपव्वय [अञ्जनकपर्वत नहीश्वर ही अंजन [अञ्जन] ओ अंजण' એક પર્વત भग. १५२,१९९,२०१: सम. १६३; अंजनपुलग [अञ्जनपुलक] रत्न, sis अंजणगिरि [अञ्जनगिरि] पारंगनो में || ___ भग. १५२; नाया. २१; પર્વત, ભદ્રશાલવનનું કૂટ अंजलि [अञ्जलि] पोलो, कोथ, मे नाया. ८७,१६९: उव. ३१; પ્રકારની મુદ્રા, કમળનાડોડા જેવી આકૃતિ કરી जंबू. ६१; જોડેલા બે હાથ अंजणगिरिकूट [अञ्जनगिरिकूट] मद्रासन- आया. ४६५,४८५,४८८; એક કૂટ, भग. ११६,१५६,१६३,१७२,१७७,३७२, जंबू. ७७,१२१,१२२; ३७३,३७५,४६०,४६३,४६५,५०६,५१८, अंजणजोग [अञ्जनजोग] पोते२४ामांनी ५१९,५२०,५२३,५३५.५८७,६२६,६३९, કળા-વિશેષ ६५२,६५७; उव. ५०; नाया. १२,१४,१५,१७,१९,२०,२२,२५, अंजणधाऊसम [अञ्जनधातुसम] सुरमा , ३०,३३,४०,६४,६५,६७,७१,८६,८७, ધાતુ વિશેષ-ઉપમા ८८,८९,९१,९३,९८,१०३,११२,१२४, देविं. २४३: नंदी. ३३; १४७ थी १५०,१५२,१५४,१५७,१५९, १६२,१६५,१६९,१७०,१७२,१७३,१७६, अंजणपुलय [अञ्जनपुलक] २त्न, sis १७८,१८४,१८६,२१४,२१८,२२०; ठा.७६२,१००४; उवा. ११.४५ अंत. १३,२०,२७; राय. ८,१०,१५,२३,३०,४२ पण्हा . ८; जीवा. ८१; विवा. ९,२२,२३,२५,३०,३३; अंजणमय [अञ्जनमय अंशनरत्नमय वस्तु उव. ११,१२,२८,३०,३२,४९; વિશેષ राय. ५,८,१०,१२,१५,२३,२४,४१,४२, टा. ३२७; ४४,५२,५४,५७,५८,५९,६२,८१ अंजणरिट्ट [अञ्जनरिष्ट] वायुमा२नो योथो ईन्द्र जीवा. १७९,१८० भग. २०१; जंबू. ४३,५६,६०,६१,६७,७३ थी ७७,७९, अंजणसलागा [अञ्जनशलाका)Hiवानी सनी ८४,९०,९६,१०१,१०३,१०४,१०५,१७१, सूय. २८७ १८०,१८१,१८४,२१४,२२७,२२९,२४१; अंजणा [अञ्जना] वावी, योथी न२६, मे निर. १०,१२,१५,१७,१८; પર્વતનું નામ पुप्फि ८; पुष्फ.३; टा. ५९७, जीवा. ७९,१९१; वण्हि . ३; संथा.१०३; जंबू. १५६,१९४; बुह. ३३; वव.३३; जीवा. २९४; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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