Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૨૧
अइबुट्टि [अतिवृष्टिएगोवरसाह
सम. ११०ः अइवेग [अतिवेग] Gujी गति
नाया. १७५: अइवेल [अतिवेल] संघीने
सूय. ४६५,६०४; अइवेला [अतिवेला साधुनीमाया भया।
उत्त. ७१ अइसअ [अतिशय अतिशय, प्रभाव
चउ. १८; अइसय [अतिशय मो. ९५२' सम. २२६; नाया. २२०;
ओह. २६; उत्त. ११५०; नंदी. १४८; अइसीय [अतिशीत] मति
ठा. ४४३; जंबू. २७९; अइसेस [अतिशेष असाधारण प्रभाव,
અતિશય, મહિમા ठा. ६७०;
उव. २७,३२,३३; जीवा. १८५:
वव. १४९,१५०; दसा. १०१
ओह. २७; अइसेसि [अतिशेषिन्] अतिशयथी युत, પ્રભાવશાળી
ओह. ३० अइहिपूजा [अतिथिपूजा) परोएund,साधु-मुनि આદિનો આહારથી સત્કાર
भग. ५०६: अइहील [अति+हीलय] Imtiesवी
दस. १७४ अई [अति+इ]6संचन २
जंबू. १०४,१२१; अईआर [अतिचार] शास्त्रिस्पसन, व्रत मलिन થાયતેવો દોષ
ओह. ८०६; अईय [अतीत ५सारथये, भूत,श-५य
ખાણનો એક ભેદ
आया. १३९; सूय.६४७,६६१,६६५; भग. ३९५, नाया. ३७; आउ. ११ दस. ३०१ थी ३०३ उत्त. ९३१,९८३,१३७४: नंदी. ७७; अईयकाल [अतीतकाल भूता महाप. ५९;
संथा. ९७; ओह. ४६८; अईयार [अतिचार] हुमो ‘अईआर' आउ.११;
उत्त. ११५१,११५२, ११५९,११६०; अईव [अतीव] घj विशेष
आया. ५१० सूय. १४७; नाया. ४०;
अंत. ५०; अनुत्त. १०;
विवा. ३३; राय. २८;
जीवा. १८५; जंबू. १९,३६४ पुष्फि .५ अउअंग [अयुताङ्ग] समयनुं मे भा५, ८४ લાખ-અર્થનિપૂર કાળ વિભાગ
ठा. ९९; | अउज्झ [अयोध्य] ५२ सैन्य प्रवेश न शश:
તેવા સ્થાન
पन्न. २०३,२०५,२१७; अउज्झ[आयुध]शस्त्र विशेष
सम. २३८; अउज्झा [अयोध्या नगरी विशेष, युद्धमांસામનો ન થઈ શકે તે
ठा. ९६; अउत [अयुतायो ‘अउय'
जीवा. २८७; अउय [अयुत समयन में भा५, ८४ साप પ્રમાણકાળ વિભાગ ठा. ९९;
भग. ३०३,८९४; जंबू.२२,३४४; अनुओ.१३८,२७५; अउयंग [अयुताङ्गाहुमो ‘अउअंग' भग. ३०७,८९४: जंबू. २२; अनुओ. १३८, २७५;
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