Book Title: Agam Sutra Satik 43 Uttaradhyayanani MoolSutra 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 667
________________ २७६ उत्तराध्ययन-मूलसूत्रम्-२-३६/१५९५ मू.(१५१५) संतई पप्पानाईया, अपज्जवसियावि य। ठिइं पडुच्च साईया, सपज्जवसियावि य॥ मू.(१५९६) वासाइं बारसेव उ, उक्कोसेन वियाहिया। बेइंदियआउठिई, अंतोमुहुतं जहन्नयं ।। मू.(१५९७) संखिज्जकालमुक्कोसा, अंतोमुहत्तं जहायं । बेइंदियकायठिई, तं कायं तु अमुंचओ। मू.(१५९८) अनंतकालमुक्कोसं. अंतोमुहुत्त जहत्रयं । बेदियजीवाणं, अंतरेयं वियाहियं ।। मू.(१५९९) एएसि वनाओ चेव, गंधओ रसफासओ। संठाणादेसओ वावि, विहाणाई सहस्ससो।। वृ. बेइंदिया इत्यादि सूत्रनवकम्, इदमपि प्रायस्तथैव, नवरं द्वीन्द्रियाभिलापः कर्त्तव्यः, तथा 'कृमयः' अशुच्यादिसम्भवाः 'अलसा:' प्रतीताः 'मातृवाहका:' ये काष्ठशकलानि समोभयाग्रतया संबध्नन्ति, वास्याकारमुखा वासीभुखाः, 'सिप्पिय'त्ति प्राकृतत्वात् शुक्तयः 'शङ्खाः' प्रतीता: 'शङ्खनका:' तदाकृतय एवात्यन्तलघवो जीवाः 'वराटकाः' कपर्दकाः 'जलौकसः' दुष्टरक्ताकर्षिण्यः चन्दनका-अक्षाः, शेषास्तु यथासम्प्रदायं वाच्याः, वर्षाणि द्वादशैवत्विति सूत्रनवकार्थः।। त्रीन्द्रियवक्तव्यतामाहमू.(१६००) तेइंदिया य जे जीवा, दुविहा ते पकित्तिया। पज्जत्तमपज्जत्ता, तेसि भए सुणेह मे।। मू.(१६०१) कुंथुपिवीलिउद्दसा, उक्कलुदेहिया तहा। तणहारा कद्वहारा य, मालूगा पत्तहारगा।। मू.(१६०२) कप्पासिट्रिमिंजा य, तिदुगा तउसर्मिजगा। सदावरी य गुम्मी य, बोद्धव्वा इंदगाइ य॥ मू. (१६०३) ___ इंदगोवसमाइया, नेगहा एवमायओ। लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया ।। मू.(१६०४) संतई पप्पऽणाईया, अपज्जवसियावि य। ठिइं पडुच्च साईया, सपज्जवसियावि य॥ मू. (१६०५) एगूनवन्न होरता, उक्कोसेन वियाहिया। तेइंदिय आउठिई, अंतोमुहत्तं जहन्नयं ।। मू. (१६०६) संखिज्जकालमुक्कोसा, अंतोमुहतं जहत्रयं । तेइंदियकायठिई, तं कायं तु अमुंचओ। मू.(१६०७) अनंतकालमुक्कोस, अंतोमुहत्तं जहन्नयं। तेइंदियजीवाणं, अंतरेयं वियाहियं ।। मू.(१६०८) एएसिं वत्रओ चेव, गंधओ रसफासओ। संगणादेसओ वावि, विहाणाई सहस्ससो।। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704