Book Title: Agam Sutra Satik 43 Uttaradhyayanani MoolSutra 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text ________________
२७७
अध्ययनं-३६, [ नि. ५५९]
वृ.तेंदिएत्यादि सूत्रनवकम्, एतदपि पूर्ववत्, नवरंत्रीन्द्रियोच्चारणं विशेषः। तथा कुन्थवःअनुद्धरिप्रभृतयः पिपीलिका:-कीटिका: गुंमी-शतपदी, एवमन्येऽपि यथासम्प्रदायं वाच्याः, एकोनपञ्चाशदहोरात्राण्यायु:-स्थितिरिति सूत्रनवकार्थः ।। चतुरिन्द्रियवक्तव्यतामाहमू. (१६०९) चरिदिया उजे जीवा, दुविहा ते पकित्तिया।
पज्जत्तमपज्जत्ता, तेसिं भेए सुनेह मे ॥ मू.(१६१०) अंधिया पुत्तिया चेव, मच्छियिा मगसा तहा।
भमरे कीडपयंगे य, डिंकणे कुंकने तहा। मू.(१६११) कुक्कडे सिंगिरीडी य, नंदावते य विच्छिए।
डोले भिंगगिरिडिओ, विरिली अच्छिवेहए। मू. (१६१२) अच्छिरे माहले अच्छि[रोडए], विचित्ते चित्तपत्तए।
ओहिंजलिया जलकारी, य नीया तंबगाइ या।। मू. (१६१३) इइ चउरिदिया एए, नेगहा एवमायओ।
लोगस्स एगदेसंमि, ते सव्वे परिकित्तिया ।। मू.(१६१४) संतई पप्पडणाईया, अपज्जवसियावि य।
ठिई पडुच्च साईया, सपज्जवसियावि य॥ मू.(१६१५) छच्चेव य मासाऊ, उक्कोसेण वियाहिया।
चउरिदिय आउठिई, अंतोमुत्त जहन्नयं ।। मू.(१६१६) संखिज्जकालमुक्कोसं, अंतोमुत्त जहन्नयं।
चउरिदियकायठिई, तं कायं तु अमुचओ। मू.(१६१७) अनंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहत्तं जहन्नयं।
विजमि सए काए, अंतरेयं वियाहियं ।। मू.( १६१८) एएसि वत्रओ चेव, गंधओ रसफासओ।
संठाणादेसओ वावि, विहाणाइं सहस्ससो।। वृ. चउरिदिएत्यादि सूत्रदशकम्, इदमपि तथैव, चतुरिन्द्रियाभिलाप एव विशेषः । एतद्देदाश्च केचिदप्रतीता एवान्ये तु तत्तद्देशप्रसिद्धितो विशिष्टसम्प्रदायाच्चाभिधेयाः, तथा पडेव मासानुत्कृष्टैषां स्थितिरिति सूत्रदशकार्थः । पञ्चेन्द्रियवक्तव्यतामाहमू. (१६१९) पंचिंदिया उजे जीवा, चउब्विहा ते वियाहिया।
___ नेरइय तिरिक्खा य, मनुया देवा य आहिया॥ वृ. पञ्चेन्द्रियास्तु ये जीवाश्चतुर्विधास्ते व्याख्याताः, तद्यथा-'नेरइय तिरिक्खा यत्ति नैरयिकास्तिर्यश्चश्च मनुजा देवाश्च आख्याताः' कथितास्तीर्थकरादिभिरिति सूत्रार्थः ।।
तत्र तावनैरयिकानाहमू.(१६२०) नेरइया सत्तविहा, पुढवीसू सत्तसू भवे।
रयणाभ सक्कराभा, वालुयाभा य आहिया ।। मू.(१६२१) पंकाभा धूमाभा, तमा तमतमा तहा।
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704