Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 11
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ तेणं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठम पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसढसुद्धस्स छट्ठी पक्खे णं महाविजय-पुप्फुत्तर-पवर-पुण्डरीआओ महाविमाणाओ वीसं / सागरोवम-ट्ठिइआओ आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्खएणं, अणंतरं चयं चइत्ता, इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्ढभरहे इमीसे / ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए विइक्कंताए, सुसमाए समाए / विइक्कंताए, सुसमदुस्समाए समाए विइकंताए, दुस्समसुसमाए /
Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 276