Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 09
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 10
________________ PREPARAN श्री निशीथ सूत्र :: उदेशकः 3] [7] अणू पबिहेसमाणे परं तिघनशी असणं वा अभिहर्ष आहदह दिज्जमाणं पडिगाहेइ पडिगार्हतं वा साइज्जइ.५३ // 20 // जै भिक्रयू अप्पणी पाए आमज्जेज वा पमज्जेज वा आमअंत वा पमज्जंतं वा साइजइ ५७॥सू०१६॥जे भिक्यू अप्पणो पाए संवाहेज वा पलिमज्जवा संवाहतं वा पलिमहतंबा साइभइ ॥सू०१७॥जे भिक्यू अय्पणो पाए तल्लेण वा घएण वा वसा एबा नवणीएण वा मक्वज वा भिलिडेज वा मक्वंतं वा भिलिंगंतं वा साइज॥सू०१८॥ जे भिक्खू अध्यणो पाए लो. द्रेण वा कक्कण वा उल्लालेज वा उबडेज वा उल्लोलंतवा उबईतं वा साइज्ज३॥सू०१९॥ जे भिक्खू अध्यणो पाए सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेग वा उच्छोलेजवा पपीज वा उच्छोलंतं वा पधोयतं वा साइजद॥सू०२०॥जे भिक्खू अप्यणी पाए फमेजवा रएजवा फर्मतं वा स्यंतं वा साइज "62' / / सू० 21 // जे भिक्रय अप्पणी कायं आमज्ञ वा पमसेज वा आमज्जंतं वा पमअंतंवा साइअइ, एतण अभिलावण सो चेव गमो भाणियब्वी जाव रयंतं वा साइजइ '63 // सू०२२-७॥ जे भिकर अप्पणो काथस बणेवि ते घेव 12 // सू० २४-३३॥जे भिक्खू अपणो कार्यसि गंडवा पिलगं (पलियंगं) वा भरइयं वा असियंवा भणंदलं वा अन्नवरेणं तिक्वेणं सस्थआएणं अच्छिंदेज वा विच्छिदेजबा अच्छिदंतं वा विच्छिदंतं वा साइज्म३॥सू०३४॥ जे भिक्खू मध्पणो जाव सत्यजाणं अछि. रिता वा विधिंदितावा पूथं वा सोगियं बाजीहरेज वा विसोहेल वाणीहरंतं वा विसोहतं वा साइन।०३५॥ जे भिन्चू अध्यणो जाव सत्यजाए अधिदित्ता वा विछिदित्तावा पूर्व वा सोणियं वा नीहरित्ता विसाहेत्ता सीओदगविथडेण वा उसी दगवियडेय वा परोलेजवा मधोएजवा पछोलतं वा पधोतंवा साइ ज्ज॥सू०३६॥जे भिक्रयू आव उसिणोदगविथडेण वा पच्छोलित्ता पधोक्ता अन्नधरण आलेवणआपणं आलियेजवा विलियम

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