Book Title: Agam 44 Nandisuyam Chulikasutt 01 Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३५) ॥३८138 चंदी- (1) (३५) अयलपुरा निक्खंते कालियसुय-आनुओगिए धीरे घंभद्दीवग-सीहे वायगपयमुत्तमं पत्ते |३२||32 जेसिइमो अनुओगो पपरइअावि अड्ढमरहम्मि बहुमयर-निग्गय-जसे ते वंदे खंदिलायरिए ॥३३॥33 तत्तो हिमवंतमहंत-विक्कमे धिइ-परक्कममनंते सज्झायमनंतधरे हिमवंते वंदिमोसिरसा ||३४||-34 कालियसुयअनुओगस्स धारए धारए य पुव्याणं हिमवंतखमासमणे वंदे नागझुणायरिए। ||३५|-36 मिउ-मद्दय-संपने अनुपुचि यायगतणं पत्ते ओह-सुप-समायारे नागझुणवायएवंदे ॥३६|38 वरतविय-कणग-वंपग-विमलउ-बरकमल-गब्य-सरियण्णे भविण-जण-हियय-दइए दया-गुण-विसारए धीरे ॥३७॥-37 अड्दभरह-प्पहाणे बहुविह-सज्झाय-सुमुणिय-पहाणे अनुओगिय-वर-यसभे नाइल-कुलवंस-नंदिकरे भूयहिअ-प्पगब्बे वंदेहं भूयदिण्णमायरिए मव-भय-वुच्छेयको सीसे नागञ्जयणरिसीणं ॥३९॥-30 सुमुणिय-निच्चानिनं सुमुणिय-सुत्तत्य-धारयं वंदे सम्मायुमावणातत्य[यंदे] लोहियमाणाणं १४0140 आत्य-महत्य स्खाणि सुसमण यक्खाण करण-निव्याणिं पयईए महुरयाणि पयओ पणमामि दूसगणि 119141 सुकुमात-कोमल-तले तेर्सि पणमामि लक्खण-पसत्ये पाए पावयणीणं पाडिच्छगसएहि पणिवइए (४५) जे अन्ने भगवंते कालिय-सुय-आनुओगिए धीरे ते पणमिऊण सिरसा नाणस्स पलवणंवोच्छ ||४३1443 (४६) सेल-यण-कुडग चालणि परिपूणग-हंस महिस मेसेय मसगजलूग बिराली माहग गो मेरि आमीरी 144 (४७) सा समासओ तिविहा पन्नत्ता तं जहा-जाणिया अजाणिया दुव्यियड्दा जाणिया जहा।१-१1-1-1 (re) खीरमवि जहा हंसाजे घुटुंति इह गुरुगुणसमिद्धा दोसे य वियअंती तं जाणसुजाणियं परिसं ४५/45 (४१) अजाणिया जहा- 19-२|1-2 (५०) जा होइ पगइमहुरा मिय-छावय-सीहकुक्कुडयभूआ स्यणामिव असंठविया अजाणिया साभवे परिसा Ilva 46 (५१) दुब्दियड्ढा जहा-19-11-3 (५२) नय कत्यइ निम्पाओ न य पुच्छइ परिमवस्स दोसेणं यत्यि व्य वायपुण्णो फुटइ गामिलयवियड्ढो ||४७/447 ॥४२॥1-42 For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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