Book Title: Agam 44 Nandisuyam Chulikasutt 01 Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी - (6) नमो ममो किम्मतरंमणस्स पंचम गणपर श्री सपर्मास्वामिने नमः ४४ नंदीसतं ||911-1 २||-2 |३|-3 11४1-4 11411-5 1६1-8 11७1-7 जयइजगजीवजोणी-वियाणओ जगगुरू जगाणंदो जगणाहोजगबंधूजयइ जगप्पियामहो मयवं जयइ सुयाणं पमयो तित्ययराणं अपच्छिमो जयइ जयइगुल लोगाणंजयइ महप्पा महावीरो भदं सव्यजगुजोयगस्स भई जिणस वीरस्स पदं सुरासुरणमंसियस्स भई पुयरयस्स। गुणभवण-गहण सुयरयणभरिय दंसण-विसुद्ध-रत्यागा संघनगर भदंते अक्खंडचरित-पागारा संजम-तव-तुंबारपस्स नमो सम्मत-पारियलस्स अप्पडिचक्कस्स जओ होउ सया संघचक्कस्स भई सीलपडागूसियस्स तव-नियम-तुरय-जुत्तस्स संघरहस्स भगयओ सम्झाय-सुणेमि-घोसस्स (७) कम्मरय-जलोड़-विणिग्गयस्स सुपरयण-दीहनालस्स पंचमहव्वयथिरकणियस्स गुणकेसरालस्स सायगजणमहुअपिरियुडस्स जिणसूर-तेयबुद्धस्स संघपउमस्स भई समणगण-सहस्सपत्तस्स तव-संजम-मय-लंछण अकिरिय-राहमठ-दुद्धरिस निचं जय संघचंद निम्पल-सम्मत्त-विसुद्धजुगा परतिस्थिय-गह-पह-नासगस्स तवतेय-दित्तलेसस्स नाणुनोयस्स जए मदंदमसंघसरस्स (११) भई घिइ-बेला-परिगयस्स सज्झायजोग-मगरस्स अक्खोभस्स भगवओ संघसमुदस्सरुदस्स सम्मईसण-वइर-दद-रूद-गाढावगाढ पेढस्स धम्मवर-रयण-मंडिय-चामीयर-मेहलागस्स नियमूसिय-कणय-सिलायलुजल-जलंत-चित्तकूष्ठस्स नंदनवन-मनहर-सुरमि-सील-गंधुद्धमायस्स (१४) जीवदया-सुंदर-कंदरुद्दरिय-मुणिवर-मइंद-इज्णस्स हेउसय-धाउ-पगलंत-रयण दित्तोसहि-गुहस्स . संवर-वरजल-पगलिय-उज्झर-प्पविरायमाण-हारस्स सावग-जण-पउर-रवंत-मोर-नयंत-कुहरस्स 11011-8 11९1-8 ||90110 ||१9111 १२/12 11१३1113 11911-14 ||१५1-15 For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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