Book Title: Agam 44 Nandisuyam Chulikasutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुत-१७ नाणायोसा नाणावंजणा पंच नामधिमा भयंति तं जहा-आवडणया पद्यावहणया अवाए बुद्धी विण्णाणे सेतं अवाए।३३-38
(114) से किंतं धारणा धारणा छव्विहा पत्रता तंजहा-सोइंदियधारणा चक्खिदियधारणा पाणिदियधारणा जिभिदियधारणा नोइंदिय-धारणा तीसे णं इमे एगढ़िया नाणाघोसा नाणावंजणा पंचनामधिज्ञा भवंति तं जहा-धरणा धारणाठवणा पट्टा कोटे सेत्तं धारणा ३४1-39
(१२) उगहे इक्कसामइए अंतोमुहुत्तिया ईहा अंतोमुहुत्तिए अदाए, धारणा संखेनं वा कालं असंखेअंवा कालं ।३५/34
(१२०) एवं अट्ठावीसइविहस्स आमिणिदोहियनाणस्स बंजणुग्गहस्स परूयणं करिस्सामि पडिबोहगदिटुंतेण मल्लगदिहतेण य से किं तं पडियोहगदिहतेणं, पडिदोहगदिट्टतेणं-से जहानामए केइ पुरिसे कंचि पुरिसं सुत्तं पडिबोहेजा-अमुगा अमुग ति तत्य चोयगे पत्रवर्ग एवं वयासी-किं एगसमयपविठ्ठा पुग्गला गहणपागच्छंति दुसमयपविठ्ठा पुग्गला गहणपागच्छंति जाब दससपयपविठ्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति संखेनसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति असंखेनसमयपविठ्ठा पुगता गहणमागच्छंति सेत्तं पडिबोहगदिईतेणं, से कि तं मल्लगदिईतेणं मल्लगदिद्रुतेणं से जहानामए केइपुरिसे आवागसीसाओ मलगं गहाय तत्वेगं उदगबिंदु पक्खिविधा से नडे अन्ने पक्खित्ते से बिनडे एवं पक्खिप्पमाणेसु-पक्खिप्पमाणेसु होही से उदगबिंदू जेणं तं पालगं रावेहिति होही से उदगबिंदू जेणं तंसि मल्लगंसि ठाहिति होही से उदगबिंदू जेणं तं मल्ल मरेहिति होही से उदगबिंदू जेणं तं मल्लग पवाहेहिति एवापेव पक्खिप्पमाणेहिं पक्खिप्पमाणेहि अनंतेहिं पुग्गलैहिं जाहे तं बंजणं पूरिय होइ ताहे हुंति करेइनो वेवणंजाणइ के वेस सद्दाइ तओ इहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस सदाइ तओ अवायं पविप्तइ तओ से उवगयं हयइ तओ णं धारणं पविसइ तओणं धारेइ संखेझं वा कालं असंखेझं वा कालं ते जहानामए के पुरिसे अव्वत्तं सई सुणिन्ना तेणं सद्दे ति उग्गहिए नो वेवणं जाणइ के वेस सदाइ तओ ईहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस सद्दे तओ णं अवायं पविसइ तओ से उवगयं हवई तओ धारणं पविसइ तओ णं धारेइ संखेनं वा कालं असंखेचं वा कालं से जहानामए केइ पुरिसे अव्वत्तं एवं पासिया तेणं रूवे त्ति उग्गहिए नो चेव णं जाणइ के वेस रूवे ति तओ ईहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस सवे तओ अवार्य पयिसइ तओ से उयगयं हवइ तओ धारणं पविसइ तओ णं धारेइ संखेशं या कालं, असंखेनं या कालं से जहानामए केइ पुरिसे अव्वत्तं गंधं अग्याइमा तेणं गंधे ति उग्गहिए नो वेव णंजाणइ के वेस गंधे तितओईहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस गंधे तओ अवायं पविसइतओ से उवगयं हयइ तओ घारणं पविसइ तओ णं धारेइ संखेनं वा कालं असंखेझ वा कालं से जहानामए केइ पुरिसे अव्यत्तं रसं आसाइजा तेणं रसेति उग्गहिए नो घेवणंजाणइ के वेस रसेत्ति तओ ईंहं पयिसइ तओ जाणइ अमुगे एस रसे तओ अवायं पयिसइ तओ से उवगये हवइ तओ पारणं पविसइ तओणं धारेइ संखेझंवा कालं असंखेनं या कालं, से जहानामए केइ पुरिसे अव्वत्तं फास पडिसंवेइशा तेणं फासे ति उग्गहिए नो चेय णं जाणइ के वेस फासे ति तओ ईहं पविसई तओ जाणइ अमुगे एस फासे तओ अवायं पविसइ तओ से उयगयं हवइ तओ धारणं पविसइ तओ णं धारेइ संखेझं या कालं असंखेनं या कालं से जहानामए केइ पुरिसे अव्यत्तं सुमिणं पडिसंवेदेज्जा तेणं सुपिणेति उग्गहिए नो चेव णं जाणइ के वेस सुपिणे तितओ ईह पविसइ तओ
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