Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
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जोगाणं जं खंडियं जं विराहियं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ॥६॥सू. 2
(१६) इच्छामि पडिक्कमि इरियावहियाए विराहणाए गमणागमणे पाणक्कमणे बीयक्कमणे हरियक्कमणे ओसाउत्तिंगपणगदगमट्टीमक्कडासंताणासंकमणे जे मे जीवा विराहिया एगिदिया बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचिंदिया अभिहया वत्तिया लेसिया संघाइया संघट्टिया परियाविया किलामिया उद्दविया ठाणाओ ठाणं संकामिया जीवियाओ ववरोविया तस्स मिच्छ। मि दुक्कडं ॥७॥सू.3
(१७) इच्छामि पडिक्कमिउ पगामसिजाए निगामसिजाए संथारा उव्वट्टणाए परियट्टणाए आउंटण पसारणाए छप्पइयसंघट्टणाए| कूइए कक्कराइए छीए जंभाइए आमोसे ससरक्खामोसे आउलमाउलाए सोअणवत्तियाए इत्थीविष्परिआसियाए दिद्विविपरिआसिआए मणविप्परिआसिआए पाणभोयणविष्परिआसिआए जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छ। मि दुक्कडं ॥८॥सू.4 ___ (१८) पडिक्कमामि गोयरचरिआए भिक्खायरिआए उग्घाडकवाडउग्घाडणाए साणावच्छादारसंघट्टणाए मंडीपाहुडियाए बलिपाहुडियाए ठवणापाहुडियाए संकिए सहसागारे असणाए (पाणे सणाए) पाणभोयणाए बीयभोयणाए हरियभोयणाए पच्छाकम्भियाए| पुरेकम्भियाए अदिट्ठहडाए दगसंसठ्ठहडाए रयसंसट्ठहडाए परिसाडणियाए पारिद्वावणियाए ओहासणभिक्खाए जं उग्गमेणं उपायणेसणाए अपरिसुद्धं परिग्गहियं परिभुत्तं वा जंन परिद्ववियं तस्स मिच्छ। मि दुक्कडं ॥9॥सू.५। ॥श्रीआवश्यक सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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