Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
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(९१) अभिन्गहं पच्चक्खाइ चव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं|| सव्वसमाहिवत्तिआगारेणं वोसिरइ ॥५०-१०॥ सूत्र-१)
(९२) निविगइयं पच्चक्खाइ चविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं गिहत्थसंसटेणं उक्खित्तविवेगेणं पडुच्चमक्खिएणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तिआगारेणं वोसिरह ॥५०११॥ १५०
• छटुं अज्झयणं समत्तं. प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट पंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा- चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री अवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक-सैलाना नरेश प्रतिबोधक-देवसूर तपागच्छ-समाचारी संरक्षक-आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्य देवेश श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ़ प्रतापी, सिध्धचकआराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म.सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्यविजेता-मालवोध्यारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगमविशारद-नमस्कार महामंत्र समाराधक पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री अभयसागरजी म.सा. शिष्य शासन प्रभावक-नीडर
वक्ता पू. आ. श्री अशोकसागर सूरिजी म.सा. शिष्य परमात्म भक्तिरसभूत पू. आ. श्री जिनचन्द्रसागर सू.म.सा. लघु गुरु भ्राता प्रवचन || ॥ श्रीआवश्यक सूत्र ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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