Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
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(७४) सिक्खा दुविहा गाहा उववायठिई गई कसाया य बंधता वेयंता पडिजाइक्कमे पंच॥१९॥-1 (७५) सामाइअंमि उकए समणो इव सावओ हवइ जम्हा एएणं करणेणं बहुसो सामाइयं कुज्जा ॥२०॥-2 (७६) सव्वंति भाणिऊणं विरई खलु जस्स सव्विया नत्थि सो सव्वविरइवाई चुक्कइ देसं च सव्वं च ॥२१॥-3
(७७) सामाइयस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा भणदुप्पणिहाणे वइदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे सामाइयस्स सइअकरणया सामाइयस्सअणवट्ठियस्स करणया ॥४६॥ सूत्र.91
(७८) दिसिव्वयगहियस्स दिसापरिमाणस्स पइदिन परिमाणकरणं देसावगासियं देसावगासियस समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा आणवणप्पओगे पेसवणप्पओगे सहाणुवाए रूवाणुवाए बहिया पुग्गलपक्खेवे ॥४७॥ सूत्र. 100 ____ (७९) पोसहोववासे चउविहे पनत्ते तं जहा आहारपोसहे सरीरसक्कारपोसहे बंभचेपोसहे अव्वावारपोसहे, पोसहोववासस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा अप्पडिलेहियदुष्पडिलेहियसिज्जासंथारए अप्पमज्जियदुप्पमज्जियसिजासंथारए अप्पडिलेहियदुप्पडिलेहियउच्चारपासवणभूमीओ अप्पमजियदुप्पमजियउच्चारपासवणभूमीओ पोसहोववासस्स सम्म अन्नुपालणया ॥४८॥ सूत्र. 11
(८०) अतिहिंसविभागो नाम नायागयाणं कप्पणिजाणं अन्नपाणाईणं दव्वाणं देसकालसद्धासक्कारकमजुअंपराए भत्तीए ॥श्रीआवश्यक सूत्र।
पू. सागरजी म. सुंशोधित
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