Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥श्री जीतकल्प सूत्र। क्य-पवयण-प्पणामो वोच्छं पच्छित्तदाण-संखेवीजीयव्वहार-गयं जीयस्स विसोहणं परम॥१॥संवर- विणिज्जाओ मोक्खस्स पहो, तवो पहो तासिीतवसो य पहाणंगंपच्छितं, जंच नाणस्स ॥२॥ सारो चरणं, तस्स वि नेव्वाणं, चरण-सोहणत्थं चोपच्छित्तं, तेण त्यं नेयं मोक्खत्थिाऽवस्सं ॥३॥तं दसविह मालोयण १-पडिक्मणोभय २,३ विवेग ४- वोस्सगी ५ोतव६-छेय ७. मूल८अणवठ्ठया ९ य पारञ्चिए १० चेव ॥ ४॥ करणिज्जा जे जोगा तेसुवउत्तस्स निरइयारस्सा छउमत्थस्स विसोही जइणो आलोयणा भणिया ॥५॥आहाराइ-गहणे तह बहिया निगमेसुऽणेगेसु। उच्चार-विहारावणि-चेइय-जइ-वन्दणाईसु॥६॥जंचन करणिज्ज जइणो हत्थ-सय-वाहिरायरियो अवियडियम्मि असुद्धो, आलोएन्तो तयं सुद्धो ॥ ७॥ कारण विणिग्गयस्स य स-गणाओ पर - गागयस्स वि यो उवसंपया-विहारे आलोयण-निरइयारस्म ॥ ८॥ गुत्ती-सभिइ-माए गुरूणो आमायणा विणय-भंगे ।। इच्छाईणमकरणे लहस मुसाऽदिन्न-मुच्छासु ॥९॥ अविहीइ कास-जंभिय-खुय-वायासंकिलिट्ठ-कम्मेसु । कन्दप्य-हास-विगहाकसाय-विसयाणुसंगसु ॥१०॥खलियस्सयसव्वत्थ वि हिंसमणावजओ जयन्तस्सोसहसाणाभोगेण व भिच्छा कारो पडिक्कमणं |॥श्री जीतकल्प सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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