Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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उद्देसओ. ॥१०॥
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नवहार० मूळपाठ ॥ २८ ॥ तिवासपरियायस्त समणस्स निग्गन्थस्त कप्पइ आयारपकप्पे नामं ॥१६॥
अज्जयणे उद्दिसित्तए ॥ २८॥ भावार्थ ॥ २८ ॥त्रण वरसनी दीक्षा थइ होय तेवा श्रमण साधुने आचार कल्प नामे अध्ययन ( आचारंग ) भणावq कल्पे ॥२८॥
अर्थ ॥ २९ ॥ च० चार । वा० वरसनी। प० प्रवर्जा लीधाने श्रमण निग्रंथने । क० कल्पे । सू० सुयगडांग । ना० 18 नामे । अं० अंग । उ० भणावतुं कल्पे ॥२९॥
मूळपाठ ॥ २९ ॥ चउवासपरियाए' कप्पइ सूयगमे नामं अङ्गे उदिसित्तए ॥ २९ ॥ भावाथ ॥ २९ ॥ चार वरसनी दीक्षावाळा श्रमण निग्रंथने मुयगडांग नामे अंग भणावq कल्पे ॥२९॥
अथ ॥ ३० ॥ पं० पांच । वा० वरसनी । १० दीक्षा लीधाने श्रमण नियंथने । क. कल्पे । द० दशाश्रुतस्कंध । क० वेदकल्प । व० व्यवहार । नामे अध्ययन । उ० भणावq ॥ ३० ॥ मूळपाठ ॥ ३० ॥ पञ्चवासपरियाए कप्पश् दसकप्पववहारे उद्दिसित्तए ॥ ३०॥ भावार्थे ॥ ३० ॥ पांच वरसनी दीक्षावाळा साधुने दशाश्रुतस्कंध, बृहत कल्प ने व्यवहारसूत्र भणावq कल्पे ॥ ३० ॥ १ F always (एचमां हमेशां) यायस्स समणस्स णिग्गन्थस्स. २F (एचमां ) दसाकप्पववहारे णामं अज्झयणे.
AHAR-MARमयाब
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