Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 393
________________ R नहि EC-W5----- पार्नु लीटी. अशुद्ध शुद्ध. | पार्नु. लीटी. अशुद्ध शुद्ध. १०८ १० त्यां वेठो ख- H. (एच) मां कोइ | * ११२ ३ वएज्जा वएज्जा, १२ मावईं कल्पे साधुने कठोर वचनादी- ११४-१ ८. आहाराइणि- H. (एचमां) आ० कना प्रायश्चित उपजे तो याए-आ० दी हवे । रा० रत्नादीक तेणे विकट देशमां ज्यां वस । रा० रा- गुरुए सेज्जासंथारो लीसाधु रहेता होय त्यां नइ घा वाद सेज्जा संखमावतुं कल्पे थारो ग्रहण करे , १४ त्यां वेसी ख- H. (एचमां ) साध्वीने | ११५-१ ९ भारे मावq कलपे कठोर वचनादीक प्राय- | * भविस्सइ भविस्सइ श्चित उपजे तो तेणे वि वर्षास्तु वर्षास्तुमा कट देशमां ज्यां साधु बु० वधती म. (एचमां) .. रहेता होय, त्यां जइ द्ध कायाने खमावq कल्पे नहिं प पा० वर्षास्तुमां वा० वर्षास्तुमा ण स्वस्थानके बेसी ख आश्रयभूत थाशे (स्थिर मावq कल्पे वासने माटे) मारे

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