Book Title: Agam 32 Prakirnaka 09 Devendrastava Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || महिड्डीए ॥२॥ पढमो सोहम्मवई ईसाणवई उ भन्नए बीओ।तत्तो सणकुमारो हवइ चउत्थो उ माहिंदो॥३॥ पंचमए पुण बंभो छट्ठो|| पुणे लंतओऽत्थ देविंदो। सत्तमओ महसुक्को अट्ठमओ भवे सहस्सारो॥४॥ नवभो य आणइंदो दसभी उपाणउत्थ देविंदो।आरण इकारसमो बारसमो अच्चुए इंदो ॥५॥एए बारस इंदा कप्पवई कप्यसामिया भणिया।आणाईसरियं वा तेणं परं नत्थि देवाणं ॥६॥ तेण परं देवगणा सयइच्छियभावणाइ उववन्नागेविजेहिं न सक्को उववाओ अन्नलिंगेणं ॥७॥जे दंसणवावन्ना लिंगरगहण करंति सामण्णे। तेसिंपिय उववाओ उक्कोसो जाव गेविजा॥८॥ इत्थ किर विमाणाणं बत्तीसं वण्णिया सयसहस्सा सोहम्मकप्पवइयो सक्कस्स महाभागस्स ॥९॥ ईसाणकप्पवइणो अट्ठावीसं भवे सयसहस्सा बारस्स सयसहस्सा कप्पम्मि सणंकुमारम्मि ॥१७०॥ अद्वैव सयसहस्सा माहिदमि उ भवंति कप्पम्मिोचत्तारि सयसहस्सा कप्पम्भिउबंभलोगम्मि॥१॥ इत्थ किर विभागाणं पन्नासं लंतए सहस्साई। चत्तारि महासुक्के छच्च् सहस्सा सहस्सारे॥ २॥ आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिन्नि। सत्त विमाणसयाई चउसुवि एएसु कप्पेसु ॥ ३॥ एयाई विभाणाई कहियाई जाई जत्थ कप्पम्मिा कप्पवईणवि सुंदरि! ठिईविसेसे निसामेहि ॥ ४॥दो सागरोक्माई सक्कस्स ठिई महाणुभागस्सा साहीया ईसाणे सत्तेव सणंकुमारम्मि ॥५॥ माहिंदे साहियाई सत्त दस चेव बंभलोगम्मि। चउदस लतइ कप्पे सत्तरस भवे महासुक्के॥६॥ कप्पम्मि सहस्सारे अट्ठारस सागरोवमाई ठिई। एगूणा( गुणवीसा )ऽऽणयकप्पे वीसा पुण पाए कप्पे ॥७॥ पुण्णा य इकवीसा उदहिसनामाण आरणे कप्पे । अह अच्चुयम्मि कप्पे बावीसं सागराण ठिई॥८॥ एसा | ॥श्री देवेन्द्रस्तव सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33