Book Title: Agam 32 Prakirnaka 09 Devendrastava Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उस्मासो देवाणं अणुत्तरविमाणवासीणं ॥८॥अद्धट्ठभेहिं राइदिएहिं अट्ठहि य सुतणु! मासेहिं । उस्सासो देवाणं मज्झिममाउं धरिताणं|| | ॥९॥ सत्तण्हं थोवाणं पुण्णाणं पुण्णइंदुसरिसमुहे! असासो देवाणं जहन्नमाउ धरिताणं॥ २३०॥ जइ सागरोवमाई जस्स ठिई तस्स तत्तिएहिं पक्खेहि। असासो देवाणं वाससहस्सेहिं आहारो ॥१॥ आहारो असासो एसो मे वन्निओ समासेणी सुहुमंतरायनाहि! (घणाहि) सुंदरि अचिरेण कालेण ॥२॥ एएसिंदेवाणं ओही उविसेसओ उ जो जस्सोतं सुंदरि! वण्णेऽहं अहक्कम आणुपुव्वीए ३॥सोहम्भीसाण पढम दुच्चं च सणंकुमारमाहिंदा॥ तच्चंच बंभलंतग सुक्कसहस्सारय चउत्थिं ॥४॥आणयपाणयकप्पे देवा पासंति |पंचभिं पुढवि। तं चेव आरणच्युय ओहियनाणेण पासंति ॥५॥छट्टि हिट्टिममझिमगेविजा सत्तभिं च उवरिल्ला। संभिन्नलोगनालिं पासंति अणुत्तरा देवा ॥ ६॥ संखिजजोयणा खलु देवाणं अद्धसागरे ऊणे। तेण परमसंखिजा जहन्नयं पन्नवीसं तु॥७॥ तेण परमसंखिज्जा तिरियं दीवाय सागरा चेवो बहुययरं उवरिभया उड्ढे तु सकप्पथूभाई ॥८॥नेरइयदेवतित्थंकराय ओहिस्सऽबाहिरा हुँति। पासंति सवओ खलु सेसा देसेण पासंति॥९॥ओहिनाणे विसओ एसो मे वण्णिओ समासेणी बाहल्लं उच्चतं विमाणवनं पुणो वुच्छं| | ॥ २४०॥ सत्तावीसं जोयणसयाई पुढवीण ताण ( होइ) बाहल्लं। सोहम्भीसाणेसु रयणविचिता य सा पुढवी ॥१॥ तत्थ विमाणा बहुविहा पासायपगइवेइयारम्मा। वेरुलियथूभियागा रयणामयदामलंकारा॥ २॥ केइत्थऽसियविमाणा अंजणधाउसरिसा समावेणी अद्दयरिटुसवण्णा जत्थावासा सुरगणाणं ॥३॥ केइ य हरियविभाणा मेयगधाऊसरिसा सभावेणी मोरग्गीवसवण्णा जत्थावासा ॥श्री देवेन्द्रस्त्व सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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