Book Title: Agam 32 Prakirnaka 09 Devendrastava Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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आणयपाणयआरणच्चुए विचित्ता उसा पुढवी॥३॥ तत्थ विमाणा बहुविहा० ॥४॥संखंकसन्निकासा सव्वे दगम्यतुसारसरिवण्णा नव य सए उव्विद्धा पासाया तेसु कप्पेसु ॥५॥ बावीसं जोयणयसयाइ पुढवीण तासिं होइ बाहल्लं गेविजविमाणेसुं रयणविचित्ता उ |सा पुढवी ॥६॥ तत्थ विभाणा बहुविहा० ॥७॥ संखंकसन्निकासा सव्वे दगरयतुसारसरिवण्ा दस य सए उव्विद्धा पासाया तेस रायति ॥८॥एगवीसंजोयणसयाई पुढवीणं तासिं होई बाहली पंचसु अणुत्तरेसुंश्यणविचित्ता य सा पुढवी ॥९॥ तत्थ विमाणा बहुविहा० ॥२७०॥संखंकसन्निकासा सव्वे दगरयतुसारसरिवण्णा इकारस उविद्धापासाया ते विरायंति ॥१॥ तत्थासणा बहविहा सयणिज्जा मणिभत्तिसयविचित्ताविरइवित्थडदू(भू)सायरयणाभयदाभलंकारा॥२॥सव्वट्ठविमाणस्स उसव्वुवरिल्लाउथूभियंताओ। बारसहिं जोयणेहिं इसिपब्भारा तओ पुढवी॥ ३॥ निम्मलदगरयवण्णा तुसारगोखीरफेणसरिवण्णा भणिया 3 जिणवरेहिं उत्ताणयछत्तसंठाा ॥ ४॥ पणयालीसं आयामवित्थडा होइ सयसहस्साई तं तिउणं सविसेसं पीरओ होइ बोद्धव्वो ॥५॥एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई। तीसं चेव सहस्सा दो य सया अउणपन्नासा ॥६॥ खित्तद्धि (ड्डि) यविच्छिन्ना अद्वेवय जोयाणि बाहल्लं। परिहायमाणि चरिमंते मच्छियपत्ताउ तणुययरी॥ ७॥ संखंकसन्निकासा नामेण सुदंसणा अमोहा यो अजुणसुवण्णयमई उत्ताणयछत्तसंठा॥८॥ईसीपब्भाराए सीयाए जोयणमि लोगंतोतस्सुवरिमम्मि भाए सोलसमे सिद्धभोगाढे। ९॥कहिं पडिहया सिद्धा?, कहिं सिद्धा पइडिया? कहिं बोदिं चइत्ताणं, कत्थं गंतूण सिज्झई? ॥२८०॥ अलोए पडिहया सिद्धा, ॥श्री देवेन्द्रस्तव सूत्र॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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